साक्षात्कार

बात बात में मां बाप का टोकना हमें अखरता है । हम भीतर ही भीतर झल्लाते है कि कब इनके टोकने की आदत से हमारा पीछा जुटेगा । लेकिन हम ये भूल जाते है कि उनके टोकने से जो संस्कार हम ग्रहण कर रहे हैं, उनकी जीवन में क्या अहमियत है । इसी पर एक लेख किसी भाई ने भेजा है, जिसे मैं आगे शेयर करने से अपने आप को रोक नहीं पाया ।

बड़ी दौड़ धूप के बाद ,
मैं आज एक ऑफिस में पहुंचा,
आज मेरा पहला इंटरव्यू था ,
घर से निकलते हुए मैं सोच रहा था,
काश ! इंटरव्यू में आज
कामयाब हो गया , तो अपने
पुश्तैनी मकान को अलविदा
कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा, मम्मी पापा की रोज़ की
चिक चिक, मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा ।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक से परेशान हो गया हूँ ।

जब सो कर उठो , तो पहले
बिस्तर ठीक करो ,
फिर बाथरूम जाओ,
बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है
नल बंद कर दिया?
तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया?
नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है
पंखा बंद किया या चल रहा है?
क्या – क्या सुनें यार ,
नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा..

वहाँ उस ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठे थे , बॉस का इंतज़ार कर रहे थे ।
दस बज गए ।

मैने देखा वहाँ आफिस में बरामदे की बत्ती अभी तक जल रही है ,
माँ याद आ गई , तो मैने बत्ती बुझा दी ।

ऑफिस में रखे वाटर कूलर से पानी टपक रहा था ,
पापा की डांट याद आ गयी , तो पानी बन्द कर दिया ।

बोर्ड पर लिखा था , इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा ।

सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी , बंद करके आगे बढ़ा ,
तो एक कुर्सी रास्ते में थी , उसे हटाकर ऊपर गया ।

देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते ,
पता किया तो मालूम हुआ बॉस
फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं ,
वापस भेज देते हैं ।

नंबर आने पर मैने फाइल
मैनेजर की तरफ बढ़ा दी ।
कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा
“कब ज्वाइन कर रहे हो?”

उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे
मज़ाक़ हो ,
वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे , ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है ।

आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं ,
सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा ,
सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया ।

धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप , जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए ।

जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता ।

घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया ।

अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से , मुझे जो सबक़ हासिल हुआ , उसके मुक़ाबले , मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं , तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है…

संसार में जीने के लिए संस्कार जरूरी है।
संस्कार के लिए मां बाप का सम्मान जरूरी है ।

जिन्दगी रहे ना रहे , जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है ।

  • Related Posts

    इंसानियत अभी भी ज़िंदा हैं

     ऊषा शुक्ला इंसानियत अभी ज़िंदा है” एक वाक्यांश…

    Continue reading
    1857 की क्रांति के महानायक का प्रतिशोध और बलिदान

    ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को क्रांति भड़काने…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    आईएमएस में मनाया गया पर्यावरण दिवस

    • By TN15
    • June 5, 2025
    आईएमएस में मनाया गया पर्यावरण दिवस

    एक पेड़ मां के नाम जन अभियान की बिजनौर नगर पालिका ने की शुरुआत , चेयरमैन व ईओ ने सभासदों के साथ मिलकर किया वृक्षारोपण

    • By TN15
    • June 5, 2025
    एक पेड़ मां के नाम जन अभियान की बिजनौर नगर पालिका ने की शुरुआत , चेयरमैन व ईओ ने सभासदों के साथ मिलकर किया वृक्षारोपण

    हिमालय बचाओ, जीवन बचाओ: किशोर उपाध्याय ने विश्व पर्यावरण दिवस पर जलवायु संकट को लेकर दी वैश्विक चेतावनी

    • By TN15
    • June 5, 2025
    हिमालय बचाओ, जीवन बचाओ: किशोर उपाध्याय ने विश्व पर्यावरण दिवस पर जलवायु संकट को लेकर दी वैश्विक चेतावनी

    विश्व पर्यावरण दिवस : धरती को बचाने का संकट

    • By TN15
    • June 5, 2025
    विश्व पर्यावरण दिवस : धरती को बचाने का संकट

    विश्व पर्यावरण दिवस पर एक पेड़ मां के नाम की मुहिम की भाजपा ने चमन गार्डन से की शुरुआत

    • By TN15
    • June 5, 2025
    विश्व पर्यावरण दिवस पर एक पेड़ मां के नाम की मुहिम की भाजपा ने चमन गार्डन से की शुरुआत

    बेंगलुरु भगदड़ मामले में सरकारी वकील ने लगाया बड़ा आरोप!

    • By TN15
    • June 5, 2025
    बेंगलुरु भगदड़ मामले में सरकारी वकील ने लगाया बड़ा आरोप!