गंगेश जयहिन्द
देश को समाजवादी व्यवस्था देने के उद्देश्य से सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना 1934 में आचार्य नरेन्द्र देव, राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण के द्वारा की गयी । सोशलिस्ट पार्टी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का भी आशीर्वाद प्राप्त था । अतः सोशलिस्ट पार्टी आज भी अपने उन्ही महापुरुषों के समाजवादी विचारों का अनुकरण करती और अपने देश में वास्तविक रूप में समाजवादी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए प्रयासरत है । क्योंकि समाजवाद ही ऐसा मार्ग है जिस पर चलकर कोई भी राष्ट्र अपने देश के नागरिकों का अच्छी तरह से भरण-पोषण करने के साथ-साथ उन्हें उपयुक्त सुरक्षा व बेहतर जीवन देने में समर्थ बन पाता है तथा-कथित सत्ताधारी समाजवादी पार्टियों का सरकारी नीति-गत ढाँचा, मूलरूप में लोहिया जी के समाजवादी विचार धारा से बिलकुल मेल नहीं खाता, क्योंकि लोहिया जी के समाजवादी विचार धारा में पूँजीपतियों और जातिवादी तत्वों, दबंगों, गुंडों, बदमाशों के लिए कोई स्थान नहीं था, तथा-कथित समाजवादी पार्टियों ने जातिवाद को जन्म देकर अपनी पार्टी को सत्ता में लाया है जबकि, लोहिया जी का कहना था कि जातिवाद किसी भी देश के लिए विष के समान है जो कि राष्ट्र की प्राण शक्ति का हरण कर, उस राष्ट्र की एकता अखंडता को बिलकुल क्षीण कर देता है, अतः यही कारण था कि लोहिया जी ने अपने देश के नागरिकों को सावधान करते हुये नारा दिया, जाति तोड़ो समाज जोड़ो….. लेकिन तथा-कथित समाजवादी पार्टियों को लोहिया जी की उस जीवन-दायनी समाजवादी विचार धारा से कोई सरोकार नहीं रह गया है, जो कि राष्ट्र को अपने पैरों पर सुढृता के साथ खड़ा कर सकने में सक्षम थी । आज की तथा कथित समाजवादी पार्टियों के करता-धर्ता लोग सिर्फ सत्ता लोलुप बनकर रह गये हैं और सत्ता की खातिर, समाज को हर तरह से खोखला कर अपने देश की आत्मा को कमजोर कर देने का कार्य कर रहे हैं ।
• इंसान बराबर हैं । जाति, धर्म, लिंग, राष्ट्रीयता, नस्ल, उम्र, वर्ग, वरीयता आदि के आधार पर विभाजन या भेदभाव मानव निर्मित है ।
• धरती के प्राकृतिक संसाधनों पर देश के सभी नागरिकों का हक समान हैं, प्राकृत संसाधनों का उपयोग नागरिकों की जरूरत पूरी करने के लिए होना चाहिए न कि मुनाफा कमाने के लिए ।
• देश की आर्थिक नीति का उद्देश्य होना चाहिए सभी नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कराना न कि कोई कृत्रिम विकास दर हासिल करना । उत्पादन करने वाले, जिसमें किसान, मजदूर व कारीगर आदि भी शामिल हैं, की आय व्यापार और सेवा क्षेत्र से कम नहीं होनी चाहिए ।
• देश में सबसे महत्वपूर्ण व अधिक निर्णय सबसे निचले स्तर पर होने चाहिए, साथ ही स्थानीय स्वा-शासन की व्यवस्था भली-भांति व चुस्त-दुरुस्त हो
• हिन्दी भाषा को सम्मान दिलाने के लिए देश के नागरिकों को मानसिक रूप से तैयार करना जिससे कि हिन्दी भाषा को, राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिल सके । साथ ही देश की समस्त भाषाओं को समुचित सम्मान दिलवाना व समस्त भाषाओं के साहित्य सृजन को प्रोत्साहन देने के लिए लेखकों और कवियों को यथोचित आर्थिक मदद देना जिससे कि देश की हर भाषा का संतुलित विकास हो सके ।
• देश में शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए एक समान व बिलकुल मुफ्त होनी चाहिए ।
• मनुष्य की सुरक्षा आपसी विश्वास पर आधारित होनी चाहिए न कि अस्त्र-शस्त्र पर ।
• देश की धन-सम्पदा का विकेन्द्रीकरण करने के लिए संवैधानिक नीतियों को अपनाना, जिससे अमीर-गरीब के बीच बढ़ती हुई खाई को पाटा जा सके ।
• देश के किसानों, आदिवासियों के प्राकृत अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए उन्हे संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिलवाना, जिससे कि उनकी जमीन, उनकी मर्जी के बिना कोई भी हथिया न सके । देश के गावों को हर-तरह से आत्म-निर्भर बनाना ।
• हम भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण करना चाहते हैं । अतः देश के प्रशासनिक ढांचे में लग गयी भ्रष्टाचार रूपी बीमारी का समुचित इलाज करने के लिए अपने देश के नागरिकों को भ्रष्टाचार के खिलाफ मानसिक रूप से तैयार करेंगे । विदेशी बैंकों में भारत का जमा काला-धन वापस देश में लाकर उसे देश के विकास कार्यों में लगाना, जिससे देश की विकास दर को गति मिल सके ।
• अपने देश की आजादी के संघर्ष के दौरान जिन मानव-मूल्यों व आदर्शों का सृजन देश की जनता के साथ मिलकर अपने देश के राष्ट्र-भक्तों ने किया था, तथा जिसके लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानिया दी थी, उन सभी मानव-मूल्यों, आदर्शों को देश में पूरी तरह से स्थापित करना ।
• देश में संविधान का राज्य स्थापित करना और पार्टी विशेष के राज को खत्म करना ।
• देश को आतंकवाद, क्षेत्रवाद, नक्सलवाद, संप्रदायवाद, व भाषावाद की गंदी राजनीति से मुक्त करना । और इनको बढ़ावा देने वाले सभी देशी विदेशी ताकतों का कठोरता के साथ दमन करना ।
• देश की राजनीति में मजबूत हो रही वंशवादी व्यवस्था को जड़-मूल से समाप्त करने के लिए देश के नागरिकों को मानसिक रूप से तैयार करना ।
• मंदिर और मस्जिद व हिन्दू और मुसलमान को आधार बनाकर राजनीति करने वाली समस्त राजनैतिक पार्टियों को सबक सीखाने के लिए देश के समस्त नागरिकों को मानसिक रूप से परिपक्व करना जिससे कि देश की एकता अखंडता कभी भी खतरे में न पड़े और देश से इन पार्टियों की गंदी और घिनौनी राजनीति का अंत हो सके ।
• देश में चुनावों के माध्यम से बनने वाली सरकारों का उद्देश्य राष्ट्र-निर्माण के प्रति समर्पित होना चाहिए न कि अपनी राजनैतिक पार्टी की सेवा के प्रति ।
• आरक्षण में कृमिलेयर के सिद्धान्त को लागू करना । क्योंकि मेरा मानना है कि आजादी के 66- सालों के बाद देश के जिन वर्गों ने उचित जीवन स्तर प्राप्त कर लिया है, उनको आरक्षण के दायरे से अतिशीघ्र बाहर कर दिया जाना चाहिए ।
• वैदेशिक खतरों को देखते हुये देश में सैनिक शिक्षा को अनिवार्य करना ।
• देश की तीनों सेनाओं को हर-तरह से सुदृढ़ता प्रदान करना ।
• देश में अमीर और गरीब, आदिवासी और पूंजीपति, ग्रामीण और शहरी के आधार पर की जाने वाली कानूनी कार्यवाहियों और न्यायालयों में सुनाये जाने वाले भेदपूर्ण फैसलों की पद्यति को समाप्त करने के लिए देश की जनता को मानसिक रूप से तैयार करना ।
• देश के सभी प्राथमिक व उच्च-प्राथमिक सरकारी विद्यालयों की हालत व उनकी पठन-पाठन शैली में समुचित सुधार कर, देश के गरीब परिवारों के बच्चों की शिक्षा स्तर को ऊपर उठाना ।
• देश के लघु और कुटीर उद्धयोगों को हर तरह की मदद व उनकी स्थिति को बेहतर बनाने वाले कार्यक्रमों को महत्व देना ।
• सीमा पर आये दिन शहादत देने वाले देश के शहीद सैनिकों को उचित सम्मान व उनके परिवारों की भरण-पोषण व शिक्षा, स्वस्थ्य के लिए आर्थिक सहायता निधि को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिलवाना ।
• देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की योग्यता को सम्मान व उचित महोल देने के साथ ही देश की वैज्ञानिक प्रयोग शालाओं को आधुनिक रूप से बेहतर बनाना ।
• देश के व्यापारियों को सुरक्षा और बेहतर महोल प्रदान करना ताकि देशी लघु और कुटीर उद्योगों के विकास को समुचित बढ़ावा मिल सके ।
• देश के किसानों, मजदूरों को उनके कार्यों का पूरा-पूरा हक निर्धारित समय सीमा के अन्दर व उचित रूप में मिलना चाहिए ।
• देश के किसानी और किसानों की बेहतरी के लिए युद्ध-स्तर पर नवीनतम कृषि- नीतियों का सृजन करना ।
• देश की जीवन दायनी नदियों की स्वच्छता हेतु राष्ट्रीय नीति व प्रदूषण-मुक्त राष्ट्रीय अभियान चलाना ।
• देश की आजादी के लिए दी गयी शहीदों की शहादत को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलवाना ।
• देश की विखरी हुई युवा ताकत को संगठित कर देश के भावी निर्माण कार्य के प्रति तैयार करना ।
• देश के निर्यात को बढ़ाना और हर-तरह के खाद्यानों के प्रति देश को आत्मनिर्भरता प्रदान करना ।
• विधवाओं, वृद्धाओं और विकलांगों की पेंशन को 100% तक बनवाने का सफल कार्य करने का लक्ष्य ।
• देश की विद्युत विभाग के बिजली बिलों में फैली अव्यवस्था का समुचित समाधान करना ।
• महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय नीति बनाना ।
“चलो निर्माण करें शहीदों के सपनों का भारत ।
आजादी के वसूलों और आदर्शों का भारत ।
किसानों, मजदूरों और आदिवासियों का भारत ।।