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Indian Politics : जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस छोड़ने वाले नेता आजाद के संपर्क में, नई पार्टी के गठन में सब आएंगे साथ?  

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सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से नाता तोड़ने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के कई प्रमुख नेताओं ने आजाद के समर्थन में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। एक तरफ जहां, कुछ सीनियर नेता आजाद के फैसले की आलोचना कर रहे हैं जिनका कहना है कि उन्होंने कई राज्यों के चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर गलत फैसला लिया है। वहीं दूसरी ओर, कई लोगों ने उनके फैसले का समर्थन भी किया है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व कांग्रेस नेता जीएम सरूरी ने रविवार को दावा किया, ‘केंद्र शासित प्रदेश के कई सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद के संपर्क में हैं, जिनमें पूर्व विधायक और दूसरी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं। बातचीत जारी है। कई लोगों ने अपने इस्तीफा सौंप दिया है और कुछ लोग प्रक्रिया में हैं।’

आजाद के अलावा ये नेता भी कांग्रेस से हुए अलग :  शुक्रवार को कांग्रेस छोड़ने वालों में पूर्व विधायक आरएस चिब, जुगल किशोर शर्मा, चौधरी अकरम, मोहम्मद अमीन भट, गुलजार अहमद वानी, हाजी अब्दुल राशिद और नरेश गुप्ता शामिल हैं। इन नेताओं की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया, ‘पूर्व मंत्रियों और जम्मू-कश्मीर की भंग विधान सभा के विधायकों ने कांग्रेस पार्टी में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही गुलाम नबी आजाद के समर्थन में पार्टी की मूल सदस्यता भी छोड़ दी है।’

‘जम्मू-कश्मीर में जल्द ही गठित होगी नई पार्टी’ :  सरूरी ने शनिवार को कहा कि आजाद अपनी स्वयं की एक पार्टी शुरू करने वाले हैं और एक पखवाड़े के भीतर इसकी पहली इकाई जम्मू-कश्मीर में गठित कर दी जाएगी। जम्मू-कश्मीर की 5 अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति की बहाली पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा होगी। उन्होंने कहा कि उनके नेता वैचारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष हैं और उनके भाजपा के इशारे पर काम करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

4 सितंबर को जम्मू जा रहे आजाद : कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष सरूरी ने कहा, ‘आजाद हमारे नए दल की शुरुआत करने से पहले अपने शुभचिंतकों से विचार-विमर्श करने के लिए 4 सितंबर को जम्मू आ रहे हैं। हमें खुशी है कि वह जम्मू-कश्मीर लौट रहे हैं, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में (दो नवंबर, 2005 से 11 जुलाई, 2008 तक) कार्य किया। लोग उनके शासन को स्वर्णिम युग के रूप में देखते हैं और चाहते हैं कि वह जम्मू-कश्मीर को वर्तमान स्थिति से बाहर निकालने के लिए लौट आएं।’