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Indian Economy : क्या आपको मोदी सरकार की काला धन सफेद करो योजना याद है?

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2016 में जिस साल नोटबंदी आई थी, उसके ठीक पहले काला धन को सफेद करने की योजना आई थी। यह योजना 30 सितंबर 2016 को बंद होती है और 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी आती है। आप नोटबंदी के समय के तमाम लेखों को पढ़ेंगे तो उसमें से शायद ही किसी लेख में इस योजना का ज़िक्र मिलेगा। आम तौर पर मोदी सरकार किसी भी योजना का हिन्दी नाम रखती है। लेकिन इस योजना का नाम अंग्रेज़ी ही रखा गया। इस तरह से रखा गया कि स्लोगन जैसा न हो और लोगों के बीच याद न रह जाए। INCOME DECLARATION SCHEME। इस योजना के तहत कई हज़ार करोड़ का काला धन टैक्स देकर सफेद हो गया था।जब लोगों ने अपना पैसा सफेद कर लिया तब नोटबंदी आई। इसलिए नोटबंदी को लेकर संदेह होता है कि क्या काला धन को मिटाना ही इसका मकसद था, या कुछ और था? भारत की जनता अब यह राज़ कभी नहीं जान पाएगी।

बंगाल में नोटों की बरसात हो रही है। ममता बनर्जी के शिक्षा मंत्री पार्था चटर्जी लगता है नोट गिनने के मंत्री हों। लेकिन क्या आपको याद है महेश शाह का किस्सा। जिसने नोटबंदी के समय 13000 करोड़ के खुलासे की बात टी वी स्टुडियो में पहुंच कर की थी? वो कहानी आज भी रहस्य है। महेश शाह का निधन हो चुका है। लेकिन क्या यूं ही कोई स्टुडियो आकर एलान करता है कि 13000 करोड़  से ज़्यादा की रकम IDS में घोषित की है और न ED न CBI दौड़ लगाती है?

एक और किस्सा बताता हूं। नोटबंदी के बाद का है। सूरत के व्यापारी किशोर भाजीवाला का।इस आदमी ने 56 बैंक अकाउंट खोल रखे थे, जिसके ज़रिए मनी लौंड्रिंग करता था। लोगों का काला पैसा रखता था, सफेद कर दे देता था। उस समय की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 700 लोगों का पैसा यह रखा करता था। इसके पास बहुत सारे बैंक लाकर थे।

क्या हुआ इस केस में, उन 700 लोगों का क्या हुआ जो किशोर भाजीवाला के खाते में पैसे रखा करते थे? किशाोर भाजीवाला 2000 करोड़ का आदमी बताया जाता है। किसी किसी रिपोर्ट में 250 करोड़ का आदमी बताया गया है। इसके बारे में सर्च करने पर 2017 तक की खबर मिलती है। उसके बाद की न्यूज़ नहीं मिलती है। आप भी सर्च करके देखिए। क्या पता आपको कुछ मिल जाए। इस केस  ED, CBI सब लगी थी।

किशोर भाजीवाला भी चायवाला था. सूरत में चाय बेचता था, बेनामी खातों के सहारे करोड़ों का आदमी बन गया। क्या यह पैसा उसी का होगा? नेताओं का नहीं होगा?