नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले का जवाब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से लिया है। हमारी सेना ने पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर सटीक मिसाइल हमले किए। यह दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ “मांद में घुसकर मारने” की नीति पर और मजबूती से चल रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान, “हमने उन्हीं को मारा है, जिन्होंने हमें मारा है,” इस रुख को स्पष्ट करता है।
भारत का यह रुख भविष्य में भी जारी रह सकता है, जहां वह आतंकवादी संगठनों और उनके प्रायोजकों (विशेष रूप से पाकिस्तान) के खिलाफ त्वरित और सटीक सैन्य कार्रवाइयों को प्राथमिकता देगा।
पाकिस्तान के साथ तनाव और जल संधि पर कड़ा रुख:
भारत ने चिनाब नदी पर सलाल और बगलीहार डैम के गेट बंद कर दिए, जिससे पाकिस्तान में पानी का प्रवाह प्रभावित हुआ। किशनगंगा बांध पर भी इसी तरह के कदम उठाने पर विचार चल रहा है। यह भारत-पाकिस्तान जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित करने या इसका रणनीतिक उपयोग करने की ओर इशारा करता है। यह कदम पाकिस्तान पर आर्थिक और पर्यावरणीय दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, खासकर तब जब पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद न करे।
सैन्य और सुरक्षा तैयारियां:
पहलगाम हमले के बाद भारत ने 300 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द कीं और 25 हवाई अड्डों को बंद कर दिया, साथ ही सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप राज्यपालों के साथ गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। देश भर में मॉक ड्रिल्स और ब्लैकआउट जैसी रणनीतियों का उपयोग दर्शाता है कि भारत किसी भी जवाबी कार्रवाई या युद्ध की स्थिति के लिए तैयार है।
वायुसेना के लड़ाकू विमानों द्वारा पाकिस्तान सीमा के पास युद्धाभ्यास और NOTAM (Notice to Airmen) का नोटिस जारी करना भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन है।
कूटनीतिक दबाव
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पहलगाम हमले को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा और लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका की जांच की मांग की। UNSC ने पाकिस्तान के दावों को खारिज कर दिया कि हमला भारत ने कराया था।
भारत अब वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की रणनीति को और तेज कर सकता है, खासकर क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर।
आंतरिक सुरक्षा और सतर्कता:
पहलगाम हमले ने भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में कुछ कमियों को उजागर किया, जिसके बाद सरकार ने सवाल उठाए कि राष्ट्रपति शासन के दौरान ऐसी घटनाएं क्यों नहीं हुईं।
भविष्य में भारत खुफिया तंत्र को मजबूत करने, सीमा सुरक्षा को और सख्त करने, और आतंकी गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने पर ध्यान दे सकता है।
आर्थिक और वैश्विक रुख
आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता:
भारत का अर्थतंत्र हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है और यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। वैश्विक व्यापार युद्ध (जैसे अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध) में भारत को लाभ मिल सकता है, क्योंकि निवेश और मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा हिस्सा चीन से भारत की ओर शिफ्ट हो सकता है।
भारत “आत्मनिर्भर भारत” और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की नीति पर जोर दे रहा है, जिसे और मजबूत किया जा सकता है।
वैश्विक कूटनीति में बढ़ती भूमिका:
भारत ने हाल ही में ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर सहमति बनाई, जिससे शराब, चॉकलेट, और बिस्कुट जैसे उत्पाद सस्ते हो सकते हैं।
भारत-जापान संबंध नए वैश्विक समीकरणों में मजबूत हो रहे हैं, खासकर क्वाड और चीन के खिलाफ रणनीति में।
रूस ने पीएम मोदी को अपने राष्ट्रीय दिवस समारोह में आमंत्रित किया, और भारत-चीन सीमा विवाद के समाधान ने भारत की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत किया है।
क्षेत्रीय चुनौतियां और रणनीति:
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता की हत्या के बाद भारत ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की मांग की।
दक्षिण एशिया में नेपाल, श्रीलंका, और मालदीव जैसे देशों के साथ संतुलन बनाए रखने की चुनौती है, खासकर जब मालदीव भारत के साथ रक्षा समझौतों में बदलाव कर रहा है।
आंतरिक नीतियां और सामाजिक रुख
जनसंख्या नियंत्रण कानून:
जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर केंद्र सरकार का रुख 14 अगस्त 2025 तक स्पष्ट हो सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस पर जवाब मांगा है। यह कानून देश की 50% समस्याओं का समाधान करने का दावा करता है।
यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील है, और सरकार का रुख इसकी दिशा तय करेगा।
सांस्कृतिक और राजनीतिक दरारें:
भारत में सांस्कृतिक (हिंदी बनाम गैर-हिंदी), आर्थिक (उत्तर-पूर्व बनाम दक्षिण-पश्चिम), और राजनीतिक दरारें गहरी हो रही हैं। परिसीमन से यह और बढ़ सकता है।
सरकार को इन दरारों को कम करने के लिए समावेशी नीतियों पर ध्यान देना होगा।
आर्थिक सुधार:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की और सरकारी खजाने को 2.5 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की योजना है।
ATM चार्ज में बढ़ोतरी और 100-200 रुपये के नोटों की उपलब्धता बढ़ाने जैसे कदम जनता पर असर डाल सकते हैं।
संभावित भविष्य का रुख
सैन्य और कूटनीतिक आक्रामकता: भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य और जल संसाधनों के रणनीतिक उपयोग को जारी रख सकता है, साथ ही वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज को और मजबूत करेगा।
आर्थिक मजबूती: वैश्विक व्यापार युद्ध और निवेश के शिफ्ट से भारत को फायदा मिलेगा, और वह मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में तेजी से बढ़ेगा।
क्षेत्रीय संतुलन: दक्षिण एशिया में भारत को बांग्लादेश, नेपाल, और मालदीव जैसे देशों के साथ सावधानीपूर्वक कूटनीति अपनानी होगी।
आंतरिक एकता: सांस्कृतिक और आर्थिक दरारों को कम करने के लिए समावेशी नीतियां और संवाद जरूरी होंगे।