विपक्ष संसद में तो एकता दिखा रहा है पर चुनाव में बिखर जा रहा है। दिल्ली में जहां आप और कांग्रेस अलग अलग चुनाव लड़ रही है वहीं बिहार में भी आरजेडी और कांग्रेस में सीटों को लेकर तकरार हो सकती है। बिहार में कांग्रेस के सह प्रभारी शाहनवाज आलम ने कह दिया है कि टिकटों का बंटवारा स्ट्राइक रेट से होगा। मतलब लोकसभा में जिस तरह से आरजेडी 23 सीटों पर चुनाव लड़ी और कांग्रेस 9 पर पर आरजेडी जीती 4 सीट तो कांग्रेस ने जीत ली 3 सीट। मतलब स्ट्राइक रेट कांग्रेस का ठीक है। ऐसे में कांग्रेस बिहार में आरजेडी से ज्यादा सीट मांग सकती है। आरजेडी देगी नहीं और कांग्रेस मानेगी नहीं तो क्या होगा बताने की जरुरत नहीं है। क्षेत्रीय दल कांग्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से। बिहार में उपजे समीकरण देखकर ऐसा लग रहा है कि दिल्ली की तरह बिहार में भी कांग्रेस अकेली चुनाव लड़ेगी।
टूट की ओर इंडिया गठबंधन, बिहार होगी शुरुआत!
चरण सिंह
दरअसल केंद्र सरकार के एक देश एक चुनाव विधेयक पेश करने की रणनीति से क्षेत्रीय दल बेचैन हैं। क्षेत्रीय दलों को लग रहा है कि एक देश एक चुनाव की रणनीति में कांग्रेस भी बीजेपी के साथ है। यही वजह है कि क्षेत्रीय दल बीजेपी और कांग्रेस से अलग होकर एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं। इनकी रणनीति है कि किसी भी तरह से एक देश एक चुनाव की रणनीति को विफल किया जाए।
इसमें दो राय नहीं कि एक देश एक चुनाव मुद्दे पर टीडीपी और जदयू के साथ ही आरएलडी, शिवसेना, एलजेपी (रामविलास) और हम भी बीजेपी के विरोध में जा सकते हैं। क्षेत्रीय दलों का मानना है कि एक देश एक चुनाव के चलते उनका वजूद खत्म होने लगेगा। क्योंकि एक देश एक चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे। इंडिया गठबंधन में टूट इसलिए भी हो सकती है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा और उप चुनाव में कांग्रेस को बहुत से समझौते करने पड़े। जहां लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा ने 17 सीटें लड़ने के दी वहीं उप चुनाव में एक भी सीट नहीं दी। आम आदम पार्टी ने दिल्ली में तीन सीट दी तो पंजाब में अपने दम पर चुनाव लड़ी। अब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग अलग चुनाव लड़ रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस को कम सीटें लेने को मजबूर किया।
जिस तरह से कांग्रेस ने लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद को अग्रिम पंक्ति से हटाकर पीछे धकेल दिया और उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजीव राय ने मिल्कीपुर सीट पर उप चुनाव न लड़ने की बात की और 2027 में पूरी ताकत से चुनाव लड़ सरकार बनाने की बात कह दी। उससे लग रहा है कि विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस सपा से अलग होकर लड़ने की रणनीति बना रही है।