राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के बैनर तले होगा धरना-प्रदर्शन

इस संस्था की ठगी के चलते लगभग 1 हजार से अधिक लोग दम तोड़ चुके हैं। लाखों बेटियों की शादी प्रभावित हुई हैं। लगभग 4 लाखों बच्चों की दवाई व पढ़ाई प्रभावित हुई है। संस्स्था के मालिकान और अधिकारी भुगतान का बार- बार झूठा झांसा देते रहते हैं। दिनेश चंद्र दिवाकर का कहना है कि यदि देश के प्रान्त कश्मीर से धारा 370 हट सकती है। तो कंपनियों पर कार्यवाही कर भुगतान क्यों नहीं दिलवाया जा सकता है ? उनका कहना है कि यदि सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर का मामला हल हो सकता है तो कंपनियों पर कार्यवाही कर भुगतान क्यों नहीं कराया जा रहा है ? देश में यदि तीन कृषि कानून वापस हो सकते हैं तो कंपनियों पर कार्रवाई क्यों की जा रही है ?

दिवाकर का कहना है कि देश में 80% लोग PACL , सहारा इंडिया आदि जैसी कंपनियों से पीड़ित हैं। इसलिए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। सहारा बिल नामक प्रस्ताव लाकर सभी राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में भुगतान की स्थिति स्पष्ट करें और उसे बजट से शामिल करें। उन्होंने कहा की आंदोलन में मांग की जाएगी कि इन कंपनियों के जमाकर्ता व कार्यकर्ताओं का पाई-पाई का हिसाब ब्याज समेत दिलाया जाय। सदमें से मरे लोगों के परिजनों को 25–25 लाख का अतिरिक्त मुआवजा भी कंपनियों से दिलाया जाए। दिवाकर का कहना है कि देश के किसानों मजदूरों छोटे व्यवसायियों का लगभग डेढ़ लाख करोड़ से अधिक धन इन कंपनियों में फंसा पड़ा है, जिसके चलते लाखों परिवार आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुके हैं। इन कंपनियों के विरुद्ध लगभग 10 लाख से अधिक शिकायतें प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित हैं।
दिनेश चंद्र दिवाकर ने बताया कि आंदोलन में मुख्य रूप से उनके अलावा महासचिव राधे श्याम सोनी, राजस्थान से मनोज शर्मा, विजय वर्मा, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ से राजू लाल श्रीवास्तव, अरविंद कुमार, हरियाणा से रोहतास सिंह मुख्य रूप से

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