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वास्तव में दुख के बाद ही सुख मिलता है

आज के समय में अधिकतर मनुष्य अपने जीवन से परेशान हैं। कोई भी अपने जीवन से ख़ुश नहीं हैं ।इस संसार में जितने भी मनुष्य है, सबके संस्कार अलग अलग हैं | एक के संस्कार न मिलें दुसरे से | अतः कोई इंसान शांत प्रिय हिता है, कोई हंसमुख होता है, कोई चिढचिढ़ा, कोई अहंकारी, कोई क्रोधी, कोई कामी होता है | हर व्यक्ति अपने सुख के लिए परेशान हैं और देखा जाए तो सुखी कोई नहीं है। कुछ क्षण का सुख पाने के लिए लोग जाने कितने- कितने पाप करते हैं षड्यंत्र करते हैं क्योंकि उन्हें कुछ समय का सुख चाहिए। मेरा भी जेवन हँसी ख़ुशी चल रहा था ।
मैं भी जीवन की सभी परीक्षाओं को पास करते हुए अपने बच्चों का पालन पोषण बड़ी मेहनत से कर ही रही थी कि एक ओर से आँधी आयी और सब कुछ बिखर सा गया । जिन बच्चों को अपने हाथ से एक एक खाने का कौर खिलाती थी वहीं बच्ची अपने आप खाना खाना सीख गये। मासूम से बच्चों को समय से पहले उम्र से बड़ा बना दिया ।. कोई नहीं जानता जिसके जीवन में किस समय कौन सा मोड़ आ जाए । हर व्यक्ति अच्छे से जानता है कि एक जैसा पल कभी नहीं रहता। समय बदलता रहता है । अगर पहले सुख आता हैं तो फिर बाद में दुख आता है। फिर भी मनुष्य अमानवीय व्यवहार करने में कभी पीछे नहीं हटता।सुख जीवन की वह अनुभूति है। जो इंसान के जीवन को समृद्ध कर देती है। सुख के आ जाने से इंसान के जीवन को न केवल शांति मिलती है। अपितु उसके मन में सभी के प्रति अच्छे विचार जन्म लेते हैं। और वही अच्छे विचार उसे श्रेष्ठ जीवन की ओर ले जाते हैं।इसलिए हर जीव सुख और आनंद चाहता है। लेकिन प्रत्येक इंसान को यह समझना जरूरी है। कि जिस सुख और आनंद को वह संसार में ढूंढ रहा है। वह यहां है ही नहीं।क्योंकि अगर संसार में सुख होता। तो कोई भी व्यक्ति एक दूसरे के प्रति घृणित विचार नहीं रखता। हमें असली सुख और आनंद मात्र ईश्वर की भक्ति के सिवाय कहीं नहीं मिल सकता।

संसार का प्रत्येक जीव केवल आनंद ही चाहता है इसे दो प्रकार से समझा जा सकता है। पहला तो आनंद आत्मा का स्वभाव है और मनुष्य आत्मा को नही जानता यानि जो मूल है वही हमे नही पता इसलिए मन अंहकार के द्वारा आनंद खोजने की कोशिश करता है जो स्वयं को या अंहकार को मिटाये बिना असंभव है। दूसरा कारण भी समझ लेना जरूरी है कि अभी मनुष्य विकसित अवस्था मे है जैसे अमीबा से उत्पत्ति और वहां से जैसे जैसे मनुष्य अवस्था तक प्रकृति द्वारा हम अचेतन रूप से पहुंचे इसलिए जो भीतर का पशु है हमारे यानि अवचेतन मन वो अभी भी पशुओं की तरह व्यवहार कर रहा है कुछ पाने के लिए जो आत्मा को जाने बिना संभव नहीं । आनंद अहंकार का न होना है या मै भाव का मिटना दोनों एक ही बातें है कुछ हद तक।सुख की परिभाषा हर किसी के लिए अलग होती है किसी को सुख दूसरो से मिलता है यानी वो हमेशा अपनी खुशी के लिए दूसरे के ऊपर निर्भर रहता है किसी को सुख चीज़ों से मिलता है मेरे लिए सुख की परिभाषा शांति है मैं पूरी दुनिया को पा लू पर मेरी जिंदगी में सुकून ना हो मैं क्या करूंगी ऐसे रिश्ते का और ऐसी दिखावटी जिंदगी का…। मेरे पास सब कुछ हो पर सुकून ना तो मुझे सब कुछ व्यर्थ लगता है मैं ऐसे सुकून की बात कर रही हूं जो हमेशा रहता है, आप अकेले में भी शांति महसूस करते हो.. ये शांति तब आती है जब आप खुद को दूसरे से अलग नहीं समझते, जब आप ये समझ जाते हैं कि गलती सब से हो सकती है आप से भी क्योंकि कई बार हम खुद को दोष देकर अपनी जिंदगी का सुकून खुद से छीन लेते हैं। दूसरा जरिया रब्ब जो रब्ब को जानता है वो प्यार को जानता है और उसकी जिंदगी में सुकून भी होता है वो प्यार जो आत्मिक होता है। सुख मन के अंदर होता है । वह हम कही भी पा सकते है । जब सुख किसी अन्य के माध्यम से पाना चाहोगे तब आपको कही भी सुख नहीं मिलेगा ।

भले ही कोई अपना शरीर काट कर दे दे । तब भी कही न कही कमी दिखाई दे जाएगी ।संसार में सुख है ही नहीं मिलेगा कहां से। सुख केवल भगवान में है या यूं कहिए कि सुख भगवान का दूसरा नाम है, सुख भगवान का पर्यायवाची है इसीलिए उन्हें सत् चित् आनंद कहा गया है। सुख भगवान में मिलेगा। भगवान ही सुख है।जिंदगी में दुनिया के ऐसा कोई भी कोना नहीं है जहां पर आपको सुख और समृद्धि मिलेगा सुख एक ऐसी चीज है जो आपको संतुष्टि से मिल सकती है अब जितनी सोच और पा लेंगे आप चिंताएं बढ़ेंगे और आप कभी सुख नहीं मिल सकती है जिंदगी में अगर आपको कभी भी सुख चाहिए तो आप जिस प्रकार से हैं आप उसी प्रकार को अपना सही और संपन्न समझ सकते हैं और अपने आप को खुश रख सकते हैं यह जिंदगी का मूल मंत्र है और इसके साथ ही आप आगे बढ़ते रहें और अपना जो भी काम है वह करते रहें।खुशी मन की एक अवस्था है जो कई अलग-अलग जगहों पर पाई जा सकती है। यह अक्सर जीवन में साधारण चीजों में पाया जाता है, जैसे प्रियजनों के साथ समय बिताना, प्रकृति का अनुभव करना, या कुछ ऐसा करना जो आपको पसंद हो। लक्ष्यों और उपलब्धियों को प्राप्त करने की सफलता में भी खुशी मिलती है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि एक व्यक्ति के रूप में आपको क्या खुशी मिलती है और अपने जीवन में उन चीजों के लिए समय निकालें।सुख एक मानसिक और भावनात्मक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति शांति, संतोष और आनंद का अनुभव करता है। यह बाहरी चीजों या आंतरिक भावनाओं का परिणाम हो सकता है। सुख का अनुभव प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि यह उनकी इच्छाओं, मान्यताओं और जीवन की स्थिति पर निर्भर करता है।
ऊषा शुक्ला 

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