नई दिल्ली, नागालैंड के मोन जिले में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को रोक दिया जाना और तृणमूल कांग्रेस के गृह मंत्री का अमित शाह से मुलाकात करना, यह कहीं न कहीं दोनों पार्टियों के बीच रस्साकशी और विपक्षी नेतृत्व की लड़ाई को मजबूत कर रहा है। एक ओर जहां कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि उसके प्रतिनिधिमंडल में पार्टी महासचिव जितेंद्र सिंह, पार्टी के नगालैंड प्रभारी अजय कुमार और सांसद गौरव गोगोई शामिल थे। उनको नागालैंड के मोन जिले में जाने से रोक दिया गया, जहां पिछले दिनों गोलीबारी में 14 लोग मारे गए थे। इसके बाद कांग्रेस नेता वहीं धरने पर बैठ गए।
इस सिलसिले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा, कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को नगालैंड के पीड़ित परिवारों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। केंद्र सरकार हमारी ओर से लोगों के दुख साझा करने से डरी हुई है। परंतु हमें कोई नहीं रोक सकता।
इसी संबंध में कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर कहा, कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडलमें शामिल नेताओं को गैरकानूनी ढंग से रोका गया। यह मोदी सरकार की फासीवादी सोच को दर्शाता है।
वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को संसद भवन में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर नागालैंड की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की है।
टीएमसी सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर नागालैंड की घटना में मारे गए लोगों को मुआवजा देने के साथ ही पूरे मामले की सही तरीके से निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की।
गौरतलब है कि नागालैंड सरकार ने रविवार को मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है। साथ ही राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) स्तर के एक अधिकारी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की भी घोषणा की है।