
सरकार मदद को तैयार
पटना । बिहार के गांव में जमीन को लेकर होने वाले विवाद अब खत्म हो जाएंगे। बिहार में जमीन सर्वे का काम शुरू हो चुका है। बिहार सरकार ने पहले ही 20 जिलों के 89 अंचलों में सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया था। दूसरे चरण में 20 अगस्त, से सर्वे का काम शुरू किया गया है। (Bihar Land survey) बिहार में भूमि सर्वे के लिए सरकार की ओर से विशेष कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है। इसके अलावा जमीन का पूरा हिसाब-किताब उसके मालिक के पास रहे, इसका भी प्रयास किया जा रहा है। बिहार सरकार को उम्मीद है कि सर्वे के बाद भूमि विवाद के मामलों में कमी आएगी। इसके साथ ही सरकार को ये भी पता चल जाएगा कि बिहार में कितनी सरकारी जमीन है। उस पर किसका कब्जा है। उसके अलावा बिहार के कई गांव में इससे संबंधित कैंप लगाकर लोगों को जानकारी दी जा रही है।
सर्वे के दौरान एक सवाल लोगों के मन में उठ रहा है कि कई लोगों के पास अपने जमीन से जुड़ी जानकारी नहीं है। उनके पास कागजात भी नहीं है। खाता-खेसरा और खतियान से जुड़ी जानकारी उनके पास नहीं है। उसके अलावा ये भी दिक्कत है कि कई लोगों के पास कागजात नहीं है। इसे लेकर सरकार की ओर से कहा गया है कि ऐसे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार ऐसे लोगों को मदद जरूर करेगी। उन्हें उनके खाता-खेसरा और खतियान की जानकारी दी जाएगी। सरकार की ओर से बताया गया है कि इसमें लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। अगर उन्हें खाता-खेसरा के बारे में पता नहीं है। उनके पास खतियान मौजूद नहीं है, तो ऐसी स्थिति में वे सरकारी अमीन की मदद ले सकते हैं।
आप अपने मालिकाना हक और कब्जे वाली जमीन पर अमीन को लेकर खाता-खेसरा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हर पंचायत में एक सरकारी अमीन इसी काम के लिए रखा गया है। लोगों को उससे संपर्क करना होगा। किसी भी बात के लिए पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
बिहार सरकार की ओर से लोगों को ये भी बताया गया है कि आखिर इस सर्वे की जरूरत क्यों पड़ी है। सरकार के मुताबिक बिहार में 100 साल पहले जमीन का सर्वे हुआ था। उसके बाद रिविजनल सर्वे 1977 में हुआ, लेकिन ये हर जिले में नहीं हो पाया। कई लोग अपने मालिकाना हक वाली जमीन की खरीद बिक्री कर चुके हैं। ऐसे में पुराने सर्वे का रिकॉर्ड अब कोई मायने नहीं रखता है। बताया जा रहा है कि कई जमीनों का मालिकाना हक बदल चुका है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि इस सर्वे के जरिए पुराने नक्शे और खतियान को अपडेट कर दिया जाए। इसके अलावा सरकार को जानकारी मिली है कि मालिकाना हक वाले ज्यादा लोग बिहार से बाहर भी रहते हैं। वे सर्वे के बारे में सुनकर परेशान हो रहे हैं। उनको ये लग रहा है कि अगर वे सर्वे के समय गांव में नहीं पहुंचते हैं, तो उस पर दूसरे का कब्जा हो जाएगा। जमीन किसी और के नाम पर चली जाएगी। हालांकि डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन जमा करने का प्रावधान है।
बिहार सरकार के मुताबिक सर्वे नहीं होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जमीन के खाता-खेसरा गायब रहते हैं। खतियान काफी पुराने होने की वजह से खराब हो जाते हैं। ऐसे में सर्वे होने से सब कुछ अपडेट कर दिया जाएगा। दाखिल-खारिज में भी आसानी हो जाएगी। कई बार बड़े-बड़े प्लाट का खाता खेसरा एक ही होता है। उसे कई लोग एक साथ मिलकर खरीदते हैं। इसमें दिक्कत होती है कि खेसरा नंबर एक ही रह जाता है। अब ऐसा नहीं होगा। अब सबका खेसरा नंबर अलग हो जाएगा। बिहार सरकार की ओर से जानकारी दी जा रही है कि इस सर्वे में सबका हिस्सा लेना जरूरी है। मालिकाना हक वाले लोग इसमें हिस्सा लें। हालांकि, ऐसे में उन लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। बिहार सरकार की ओर से लोगों को कागजात जमा करने का बकायदा समय दिया जाएगा। गांव में लगे शिविर में स्व घोषणा पत्र देने होंगे। जिसमें वंशावली समेत कुछ कागजात देने होंगे। इन्हें ऑफलाइन के अलावा ऑनलाइन भी भरा जा सकता है।
सर्वे के दौरान खतियान, केवाला, एलपीसी, दान वाली जमीन के कागजात और जमाबंदी के साथ मालगुजारी रसीद चाहिए। वारिस होने का प्रमाण पत्र और खरीद बिक्री के कागजात जमा करने होंगे। अगर किसी जमीन पर विवाद है, तो कोर्ट के आदेश भी जमा करने होंगे। जमीन पूर्वजों के नाम पर है, तो उनके मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ेगी। उसके अलावा आवेदनकर्ता को अपने आधार कार्ड की कॉपी देनी होगी। इसके अलावा लोग बाहर रहते हैं। उन्हें यदि कागजात जमा करने हैं, तो वे ऑनलाइन इस https://dlrs.bihar.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर अपना डॉक्यूमेंट जमा कर सकते हैं। बिहार सरकार के मुताबिक सर्वेक्षण टीम की ओर से जो रिकॉर्ड बनाया जाएगा, उसे आप 6 महीने बाद देख सकेंगे।इसे ड्राफ्ट पब्लिकेशन कहा जाता है। इसमें आपको कोई गलती दिखाई देती है, जैसे आपकी जमीन किसी और के नाम पर दिखाई जा रही है, तो आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत की सुनवाई के वक्त आप खुद ही वहां मौजूद रहें।