” बटोगे तो कटोगे ”  नागरिक अधिकारों के हनन को दे रहा है बढ़ावा

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के एम् भाई 
साथियों, कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो सरकार राज्य में शान्ति ओर सौहार्द का दावा करती है खुशहाली और समृधि की बात करती है  वही वोट पाने के लिए अत्यंत हिंसक एवं साम्प्रदायिक नारा अपने प्रचार के लिए चुनती है और यह तब है जब एक भगवाधारी राज्य का मुखिया है  जिसे सांप्रदायिक सौहार्द के उदाहरण पेश करने चाहिए वही अपने मुख से हिंसक शब्दों का प्रचार कर रहा है शायद बाबा जी भूल गए कि भारतीय इतिहास का एक दौर वह भी था जब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए प्रेम और अहिंसा का नारा दिया था और उस नारे को जीने के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था |  लेकिन आज उसी आज़ाद भारत में सरकार अपने ही जनमानस के लिए बटोगे तो कटोगे, बुलडोजर चलेगा, उखाड़ दिए जाओगे आदि जैसे घृणित नारों का उपयोग कर लोगों को बाँटने का प्रयास कर रही है  इस तरह के नारे और बयान राज्य में हिंसक घटनाओं को और अधिक बढ़ावा देते हैं |  जिनका खामियाजा निर्दोष जनता को भुगतना पड़ता है | विचार कीजियेगा …..
हाल में हुई कुछ घटनाएं –
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गयी और पुलिस  मूकदर्शक बनी रही ..
 

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में जिलाधिकारी कम्पाउण्ड में लाश गढ़ी रही और जिला प्रशासन बेखबर रहा या जानबूझकर मूक बना रहा ..

 
उत्तर प्रदेश के लखनऊ पुलिस हवालात में एक व्यक्ति मौत साबित करता है किस तरह से उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकारों का दमन हो रहा है ..
 

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