चरण सिंह
आम आदमी पार्टी के मामले में कांग्रेस लगातार गलती कर रही है। दिल्ली और पंजाब गंवाने के बाद अब हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने जा रही है। वह भी तब जब भूपेंद्र हुड्डा अपने दम पर सरकार बनाने में सफल दिखाई दे रहे हैं। हालांकि भूपेंद्र हुड्डा इस गठबंधन को चाहते भी नहीं हैं क्योंकि इसकी पहल खुद राहुल गांधी ने की है तो भूपेंद्र हुड्डा राहुल गांधी की लिहाज करते हुए आम आदमी पार्टी को पांच सीटें देने को तैयार हैं पर आम आदमी पार्टी १० सीटें मांग रही है।
दरअसल चौटाला परिवार की राजनीति ढलान पर होने की वजह से अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाटों के सर्वमान्य नेता माने जा रहे हैं। इन विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र हुड्डा का कद किस रूप में उभर कर सामने आया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा की पहली लिस्ट जारी होते ही बीजेपी में बगावत हो गई और २० नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। उधर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ३२ उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी पर कोई बगावत नहीं हुई, जबकि टिकटों के लिए मारामारी उस पार्टी में ज्यादा होती है जिसकी सरकार बनने की उम्मीद होती है। इसका मतलब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस में अनुशासन कर रखा है।
दरअसल चाहे दिल्ली हो या फिर पंजाब, दोनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीनी है। अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी को पहली बार कांग्रेस ने इसलिए समर्थन दिया था क्योंकि कांग्रेस भाजपा को सत्ता में आने से रोकना चाहती थी। जो उसको इतना भारी पड़ा कि दिल्ली में कांग्रेस का वजूद न के बराबर रह गया है। ऐसे ही पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाते हुए सत्ता कब्जाई। ऐसे ही यदि कांग्रेस ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया तो आने वाले समय में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए दिक्कतें पैदा कर सकती है।
वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव में कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के चलते भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अंतिम समय में चुनाव लड़ने की कमान मिली थी। फिर भी कांग्रेस ने ९० में से ३० सीटें जीत ली थी, जबकि बीजेपी को 40 और जेजेपी को १० सीटें मिली थी। इन चुनाव में तो बीजेपी और जेजेपी में बगावत हो गई है और दोनों ही पार्टियों से कई नेता कांग्रेस में आ गये हैं। भूपेंद्र हुड्डा का प्लस प्वाइंट यह भी है कि उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा में इतनी सादगी है कि उनसे कोई नाराज नहीं होता। उनकी सादगी के लोग दीवाने हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी को हरियाणा में बढ़ावा देकर कांग्रेस अपने लिए घाटे का सौदा कर रही है। इस गठबंधन से आम आदमी पार्टी का फायदा है। हालांकि अभी तक सीटों पर सहमति नहीं बन सकी है।
देखने की बात यह है कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कई पहलवानों का साथ भी कांग्रेस को मिल सकता है। विनेश फोगाट को उनकी ससुराल जुलाना से टिकट मिला है। ससुराल होने का फायदा विनेश फोगाट को मिलेगा।