भाजपा नेतृत्व में कितना सुधार कर पाएगी मोहन भागवत की नाराजगी?

चरण सिंह

आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व में आई खटास अब सार्वजनिक हो गई है। जिस तरह से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर का मामला उठाकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उससे लोगों की समझ में आ गया है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के मणिपुर पर रहे रवैये से आरएसएस भी नाराज है। भले ही मोहन भागवत ने नाम नहीं लिया हो पर अहंकार की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को  लेकर कही है। मोहन भागवत का यह कहना कि स्वय सेवक अहंकारी नहीं हो सकता है और जो अहंकारी है वह स्वयंसेवक नहीं हो सकता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि आरएसएस बीजेपी नेतृत्व से इतना नाराज है तो बीजेपी में सब कुछ सामान्य कैसे रह सकता है। बीजेपी में तो अधिकतर नेता आरएसएस के स्वयंसेवक ही रहे हैं।
मोहन भागवत की नाराजगी की बड़ी वजह यह है कि आरएसएस नेतृत्व को लेकर कई बार नसीहत दे चुका है पर भाजपा नेतृत्व के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
गत दिनों आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में भाजपा को नसीहत दी गई थी कि कब तक मोदी के चमत्कारिक चेहरे पर चुनाव लड़ते रहेंगे। प्रदेश और जिलों में नेतृत्व तैयार किया जाए। पर आरएसएस कर इस नसीहत का बीजेपी नेतृत्व पर कोई असर नहीं पड़ा। उत्तर प्रदेश में इतनी बुरी तरह से शिकस्त पाने का बड़ा कारण टिकट बंटवारे में आरएसएस की न चलना माना जा रहा है। अब जब भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है तो आरएसएस को कहने का मौका मिल गया। मोदी के मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह से योगी आदित्यनाथ परेशान दिखे। उससे साफ लग रहा था कि उत्तर प्रदेश की हार का उनको बहुत बड़ा सदमा लगा है।
आरएसएस प्रमुख की नाराजगी भी इस बात को लेकर है कि उत्तर प्रदेश में टिकट बंटवारे में न तो योगी आदित्यनाथ की सुनी गई और न ही आरएसएस की। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत में सब कुछ ठीक नहीं है। तो क्या यह विवाद आगे बढ़ेगा ? या फिर मामला मैनेज हो जाएगा। हालांकि खबरें यह भी आ रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस और नाराज सांसदों की नाराजगी को दूर करने के लिए राजनाथ सिंह को लगाया हुआ है।
इसमें दो राय नहीं कि आरएसएस की लोकसभा चुनाव में उदासीनता और नेतृत्व के निर्णयों से कार्यकर्ताओं में नाराजगी भाजपा को ले डूबी। आरएसएस को गुस्सा इस बात का है कि इन चुनाव में उनकी रणनीति ४०० के पार सीटें जीतने की थी पर नेतृत्व के अहंकार के चलते पार्टी अपने दम पर बहुमत नहीं नहीं ले पाई। इसमें भी दो राय नहीं कि विपक्ष ने कोई खास तरह से चुनाव नहीं लड़ा। सरकार से जनता की नाराजगी, नेतृत्व से बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और भितरघात ने भाजपा को हराया। अब देखना यह होगा कि भाजपा नेतृत्व में मोहन भागवत कुछ परिवर्तन करा पाते हैं या फिर भाजपा नेतृत्व आरएसएस का हस्तक्षेप भाजपा में घुसने नहीं देता है। वैसे भी जेपी नड्डा के एक इंटरव्यू में आरएसएस की जरूरत न होने की बात कहना आरएसएस से भाजपा की बढ़ती दूरी को बयां कर रहा था।
दरअसल असली खेल अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई को लेकर है। जानकारी मिल रही है कि अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को अहसास कराने के लिए उनकी एक न सुनी। जानकारी तो यहां तक मिल रहीं है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह से कहा था कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की क्यों नहीं सुन रहे हो। अमित शाह ने यह कह दिया था कि सब कुछ ठीक है।

  • Related Posts

    कांग्रेस भुनाएगी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन को ?

    चरण सिंह  वक्फ संशोधन कानून बनने के बाद देशभर में विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध प्रदर्शन हो रहा है। चाहे बिहार हो, महाराष्ट्र हो, प. बंगाल हो या फिर दिल्ली…

    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    शिक्षा या शिकारी जाल? पढ़ी-लिखी लड़कियों को क्यों नहीं सिखा पाए हम सुरक्षित होना? अजमेर की छात्राएं पढ़ी-लिखी थीं, लेकिन वे सामाजिक चुप्पियों और डिजिटल खतरों से अनजान थीं। हमें…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

     हरियाणा के पत्रकारों की समस्याओं का कराया जाएगा समाधान : राज्यपाल

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 5 views
     हरियाणा के पत्रकारों की समस्याओं का कराया जाएगा समाधान : राज्यपाल

    पुलिस की ड्रेस में आए थे आतंकी 

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 6 views
    पुलिस की ड्रेस में आए थे आतंकी 

    कांग्रेस भुनाएगी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन को ?

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    कांग्रेस भुनाएगी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन को ?

    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    शब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    शब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं

    नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के ऐतिहासिक सभागार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी स्वर्ण जयंती कांफ्रेंस

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 11 views
    नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के ऐतिहासिक सभागार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी स्वर्ण जयंती कांफ्रेंस