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केंद्र से दिल्ली का कितना भला करा पाएंगी आतिशी?

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चरण सिंह 

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर अरविंद केजरीवाल के रवैये के खिलाफ जाने का संकेत दिया है। आतिशी ने इस भेंट को शिष्टाचार की मुलाकात बताया है। कुछ भी हो आतिशी ने यह कदम उठाकर एक सकारात्मक राजनीति करने का प्रयास किया है।  अरविंद केजरीवाल तो प्रधानमंत्री की आलोचना करने के अलावा कुछ करते नहीं करते थे। आतिशी ने प्रधानमंत्री से मिलकर यह संकेत दे दिये हैं कि उनके और प्रधानमंत्री के बीच संबंध अरविंद केजरीवाल वाले खटास वाले नहीं रहने वाले हैं। अरविंद केजरीवाल वैसे तो प्रधानमंत्री मोदी से मिले नहीं यदि किसी कार्यक्रम में भेंट हो गई तो वह मुंह बनाकर निकलते रहे हैं।
दरअसल आतिशी चाहती हैं कि केंद्र सरकार से मिलकर दिल्ली के लिए कुछ काम करा लिया जाए, जिसका फायदा दिल्ली विधानसभा चुनाव में उठाया जाए। हालांकि आतिशी की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के पीछे भी पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हाथ हो सकता है। बिना केजरीवाल की सहमति के तो वह एक कदम भी नहीं बढ़ा सकती हैं। यदि यह दिमाग अरविंद केजरीवाल ने लगाया है तो अरविंद केजरीवाल के दिमाग में कुछ तो जरूर चल होगा। अब वह दिल्ली के लिए कुछ करना चाहते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जो भाजपा इस बार आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए बैठी है तो क्या वह केंद्र सरकार से कुछ दिल्ली के लिए होने देगी ? यदि केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली में कुछ काम होता है तो क्या बीजेपी उसका श्रेय नहीं लेना चाहेगी ?
दरअसल अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी से से सीधी टक्कर ली है। 56 इंच के सीने का हवाला देकर कई बार उन्हें ललकारा है। केंद्र सरकार के एलजी वीके सक्सेना को दिल्ली की पावर देने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली की पावर अर्जित कर ली थी पर केंद्र सरकार ने कानून बनाकर फिर से एलजी वीके सक्सेना को दिल्ली की पावर दिलवा दी।इस बीच दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले में उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और खुद अरविंद केजरीवाल को जेल की हवा खानी पड़ी। तीनों नेता जमानत पर बाहर आये हैं। ऐसे में अरविंद केजरीवाल के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है कि आखिरकार दिल्ली की जनता को विश्वास में कैसे लिया जाए। कैसे फिर से दिल्ली सत्ता हासिल की है। दरअसल दिल्ली के लिए अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा चुनाव पर भी फोकस नहीं किया है। अब वह दिल्ली में जनता दरबार करा रहे हैं। उधर आम आदमी पार्टी को बीजेपी के साथ ही कांग्रेस से भी जूझना है। अब देखना यह होगा कि आतिशी के नेतृत्व में दिल्ली का कितना भला होता है।