हिंदू धर्म में सूरज को देवता का रूप माना जाता है। भगवान सूर्य देव की वजह से ही पृथ्वी प्रकाशवान है. मान्यता है कि सूर्य देव की नियमित पूजा करने से तेज और सकारात्मक शक्ति प्राप्त होती है. ज्योतिषियों के अनुसार, नवग्रहों में से सूर्य को राजा का पद प्राप्त है. विज्ञान में भी बताया जाता है कि बिना सूर्य के पृथ्वी पर जीवन असंभव है, इसलिए वेदों में इसे जगत की आत्मा भी कहा जाता है. लेकिन, भगवान सूर्य देव की उत्पत्ति कैसे हुई, यह सवाल सबके मन में आता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार भगवान सूर्य देव के जन्म को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि और मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या दीति और अदिति से हुआ था. अदिति इस बात से दुखी थी कि दैत्य और देवताओं में आपसी लड़ाई होती रहती थी. तब अदिति ने सूर्य देव की उपासना की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने पुत्र के रूप में जन्म लेने का वर दिया. कुछ समय बाद अदिति को गर्भधारण हुआ. जिसके बाद भी उन्होंने कठोर उपवास नहीं छोड़ा.