दिल्ली सरकार पर लगाया निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप, विपक्ष से जताई दिल्ली के हित में चर्चा करने की उम्मीद, लोकसभा अध्यक्ष से मांगा चर्चा में मार्गदर्शन, पार्षदों की संख्या 272 से कम करके 250 करने का रखा प्रस्ताव
चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने का विधेयक लोकसभा में पेश किया। उन्होंने तीनों नगर निगमों के कार्यकलापों के साथ नीतियों में अंतर होने की वजह से काम सही ढंग से करने की बात करते हुए कहा कि तीनों नगर निगमों के एक होने से करने करने में न केवल सुविधा होगी बल्कि सुधार भी होगा। अमित शाह का कहना था कि दिल्ली नगर निगमों में लगभग एक लाख २० हजार कर्मचारी हैं। तीनों नगर निगमों के कर्मचारियों के वेतन और काम में अंतर होने की वजह से आक्रोश उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी होने की वजह से यहां पर राष्ट्रपति भवन, संसद, प्रधनामंत्री आवास, केंद्रीय सचिवायल, राजदूतालय हैं। यहां पर न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीटिंग भी होती हैं। दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों की राजधानी में ही मुलाकात होती है। उसको दृष्टिगत रखते हुए सिविक सेवाओं के सुचारू रूप से होने के लिए तीनों निगमों का एक होना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पहले एक ही नगर निगम था राजनीतिक कारणों से तीन नगर निगम बनाये गये।
अमित शाह का कहना था कि १८८३ दिल्ली नगर पंजाब बोर्ड एक्ट के तहत बना था। १९५७ में दिल्ली निगम एक्ट के द्वारा इसकी स्थापना हुई। २०११ में संशोधन कर उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निमम बनाया गया। अमित शाह ने कहा कि बंटवारे के कारण, बंटवारे के पीछे की मंशा राजनीतिक ही बताई जा सकती है। उन्होंने कहा कि तीनों नगर निगमों में एकरुकता न होने की वजह, तीनों के चलाने और शक्ति बोर्ड के अलग-अलग होने, संसाधनों और दायित्वों में अंतर होने की वजह से कर्मचारियों में आक्रोश पैदा होता है।
अमित शाह का कहना था दिल्ली के हित में तीनों नगर निगमों का अब एक होना बहुत जरूरी है। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार की किसी मंशा से इनकार किया। उनका कहना था कि सारे निगम अपने पर्याप्त संसाधनेां से लैस नहीं पा रहे हैं। पर्याप्त संसाधनों और कर्मचारियों के वेतन और दायित्व को देखते हुए तीनों नगर निगम मिलकर एक होने चाहिए। उनका कहना था कि जब एक नगर निगम होगा तो सभी सिविक सेवाओं का एकरुपता के साथ ध्यान रखेगा। उन्होंने दिल्ली के पार्षदेां की संख्या २७२ से कम २५० तक सीमत करने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि उन्हें विपक्ष की आपत्तियों का भी जवाब देना है पर उन्होंने अपील की कि दिल्ली हित में वे गंभीरता से मामले पर विचार कर सवाल करें। उन्होंने विपक्ष से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर नगर निगमों और उनके कर्मचारियों के बारे में भी सोचने की अपील की। उनका कहना था कि इस विधेयक के पारित होने के बाद नगर निगम की व्यवस्था में गजब का सुधार आएगा। विधेयक पेश करते हुए उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से भी चर्चा में मार्गदर्शन करने की अपील की।