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Hijab Row: खवातीन बाहर निकलेगी तो चेहरे और जिस्म को ढकना होगा, ये कुरान का हुक्म, HC के फैसले पर मौलाना, मुनव्वर राणा की बेटी नाराज

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कर्नाटकः हाईकोर्ट ने हालांकि हिजाब मामले पर मुस्लिम समाज को झटका दे दिया। लेकिन वो भी हार मानने के मूड़ में नहीं दिख रहे। फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी गई है

द न्यूज 15 
नई दिल्ली।  कर्नाटक हिजाब विवाद के मामले में हाई कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसला में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। हालांकि हाईकोर्ट ने हिजाब मामले पर मुस्लिम समाज को झटका दे दिया। लेकिन वो भी हार मानने के मूड़ में नहीं दिख रहे। फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी गई है।
हिजाब को लेकर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना अली कादरी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को बहार निकलते वक्त अपने चेहरे और जिस्म को ढकना होगा। ये कुरान का हुक्म है। वहीं शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया ने कहा कि उन्हें यह बात सुनकर अजीब लगा कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं है।

न्यूज चैनल पर एक शो के दौरान कादरी ने कहा, “हाई कोर्ट का हम मान रखते हैं। हिन्दुस्तानी होने के साथ-साथ मैं एक मुसलमान हूं। हिंदुस्तानी होने के नाते मैं संविधान को सबसे ऊपर मानता हूं और मुसलमान होने के नाते मैं कुरान के एक-एक लफ्ज को मेरी अपनी जिंदगी का मकसद मानता हूं। इसपर चलना मेरा ईमान है। कुरान में अल्लाह ताला ने खुले लफ्ज में कहा है कि औरतों को कह दो कि जब भी वे बाहर निकले अपने चेहरे को अपने जिस्म को ढक कर निकलें।”
मौलाना कादरी ने आगे कहा, ” हाई कोर्ट ने किस रौशनी में यह फैसला दिया है मुझे नहीं पता है, लेकिन कुरान का यह फैसला है कि मुस्लिम खवातीन जब भी बाहर निकलेगी, अपने चेहरे और जिस्म को ढकना होगा। यह कुरान हुक्म है। यह अल्लाह का हुक्म है।” मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया ने कहा, “एक धर्म विशेष को निशआना बनाया जा रहा है। मैं अपने पिता के पंक्तियों से अपने दर्द को बयां करती हूं हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं, जो उर्दू बोलने वाले को दहशतगर्द कहते हैं। मदीने तक हमने मुल्क की दुआ मांगी, किसी से पूछ ले इसका वतन का दर्द कहते हैं। “
सुमैया ने कहा कि उन्हें कोर्ट की बात सुनकर अजीब लगा कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कुरान की आयत नंबर 33 पढ़ा और कहा कि अल्लाह की ओर से कहा गया है कि बेटियों को घर से निकलते वक्त खुदको ढककर निकलना। यह कुरान कहता है। हालांकि, ऐसा जबरदस्ती नहीं है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए। अगर कॉलेज में एक ही यूनीफॉर्म है तो हमें दूसरा ऑप्शन देखना चाहिए।
कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन-जजों की पीठ ने मामले को लेकर 10 फरवरी को डे टू डे सुनवाई शुरू की थी और 25 फरवरी को फैसले सुरक्षित रखा था। हिजाब विवाद इस साल जनवरी में शुरू हुआ था जब उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज ने हिजाब पहने छह लड़कियों को क्लास करने से रोक दिया था।
क्लास में प्रवेश न मिलने पर छात्राओं ने कॉलेज के बाहर धरना दिया। फिर उडुपी के कई कॉलेजों के हिंदू लड़के भगवा स्कार्फ पहनकर क्लास अटेंड करने लगे। यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए। हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि यदि प्रबंधन समितियों द्वारा ड्रेस निर्धारित नहीं की जाती है, तो छात्रों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो समानता और एकता के विचार से मेल खाते हों और सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ें नहीं।