दिल्ली हाईकोर्ट ने लो फ्लोर बस घोटाले के आरोपों को लेकर दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता को जारी समन आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी। अदालत ने मामले में गहलोत से जवाब भी मांगा है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की एकल पीठ ने दिल्ली सरकार और गहलोत को नोटिस जारी किया और मामले को 4 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। विजेंद्र गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बर्मन और वकील सत्य रंजन पेश हुए।
पिछले सोमवार को, भाजपा विधायक ने दिल्ली परिवहन निगम द्वारा 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद पर उनके बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए गहलोत द्वारा एक आपराधिक मानहानि शिकायत में उनके खिलाफ जारी समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
11 अक्टूबर को राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने पाया था कि गुप्ता ने प्रथम ²ष्टया अपराध किया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि मौखिक प्रस्तुतीकरण तथा अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए यह पाया गया है कि आरोपी ने प्रथम ²ष्टया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499/500/501 के तहत दंडनीय अपराध किया है।
दिल्ली के परिवहन मंत्री ने दिल्ली परिवहन निगम द्वारा 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद से संबंधित मामले में उन्हें कथित रूप से बदनाम करने के लिए गुप्ता के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी और भाजपा विधायक द्वारा मीडिया पोस्ट को हटाने और हर्जाने के तौर पर 5 करोड़ रुपये की मांग की थी।
गहलोत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि गुप्ता ने दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए, शिकायतकर्ता पर मौखिक और लिखित रूप से ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने अकाउंट के माध्यम से मानहानिकारक, निंदनीय, शरारती, झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए हैं।
मंत्री ने आरोपों को खारिज करने के साथ ही अपनी शिकायत में यह भी उल्लेख किया था कि दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्रालय का प्रभार मिलने के बाद, उन्होंने 2017 से लोगों के कल्याण के लिए लगभग 1,500 नई बसों को शामिल करने की पहल की है।