सुभाषचंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 24-28 अप्रैल, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में अगले दो दिनों तक आसमान में हल्के बादल आ सकते है। हालांकि, पूरे पूर्वानुमानित अवधि में मौसम के शुष्क रहने की संभावना है।
इस अवधि में अधिकतम तापमान 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। इस अवधि में हीट वेव तथा प्रचंड गर्मी की स्थिति बनी रहने का अनुमान है। हीट वेव से राहत मिलने की सम्भावना बहुत कम है। मंगलवार के तापमान पर एक नजर डालें तो अधिकतम तापमानः 39.5 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस अधिक एवं न्यूनतम तापमानः 23.1 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 0.4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है।
इस अवधि में सतही हवा की गति तेज रह सकती है। औसतन 16 से 20 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की सम्भावना है।सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 60 से 70 प्रतिशत तथा दोपहर में 30 से 40 प्रतिशत रहने की संभावना है।समसामयिक सुझाव देते हुए मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पूर्वानुमानित अवधि में मौसम के शुष्क एवं गर्म मौसम रहने की संभावना को देखते हुए किसान भाई गेहूँ, अरहर एवं मक्का फसल की कटनी एवं दौनी के कार्य को प्राथमिकता दें।
गेहूँ एवं मक्का के दानों को अच्छी तरह धूप में सूखाने के बाद भंडारण करें। भंडारण के लिए जुट के बोरे की व्यवस्था कर लें एवं बोरे को पलटकर अच्छी प्रकार घुप में सुखाकर कीट रहित कर लें।ओल की फसल की रोपाई शीघ्र संपन्न करें। रोपाई के लिए गजेन्द्र किस्म अनुशंसित है। ओल की कटे कन्द को ट्राइकोर्डमा मिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सुखने दें उसके बाद उपचारित कन्द को लगायें।
ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो सके। रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतों की गहरी जुताई कर खेत को खुला छोड़ दें ताकि सुर्य की तेज धुप मिट्टी में छिपे किड़ों के अण्डे, प्युपा एवं घास के बीजों को नष्ट कर दें। हल्दी एवं अदरक की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें।
खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद डाले। 15 मई से किसान भाई हल्दी एवं अदरक की बुआई कर सकते हैं। लत्तर वाली सब्जियों जैसे नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू), और खीरा में लाल भृंग कीट से बचाव हेतु डाइक्लोस्वॉस 76 इ०सी०/ 1 मि०ली० प्रति ली० पानी की दर से छिड़काव करे। मूंग व उरद की फसलों में सघन रोमोवाली सुंडिया की निगरानी करें।
इनके सुडियो के शरीर के उपर काफी घने बाल पाये जाते है। यह मूंग एवं उरद् के पौधों के कोमल भागों विषेषकर पत्तियों को खाती है। इनकी संख्या अधिक रहने पर कभी-कभी केवल डण्ठल ही शेष रह जाती है। इस प्रकार इस कीट से फसल को काफी नुकसान एवं उपज में काफी कमी आती है। रोक-थाम हेतु फसल में मिथाइल पैराथियान 50 ई०सी० दवा का 2 मि०ली०/लीटर या क्लोरपाईरिफॉस 20 ई०सी० दवा का 2.5 मि०ली०/ लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल में छिडकाव करें।
बसंतकालीन मक्का, पिछात बोयी गई रवी मक्का, प्याज, सब्जियों की फसल एवं चारा फसलों में सिंचाई शाम के समय में करें। ध्यान दें कि, सिंचाई करते
समय हवा की गति कम हों।आम के बगीचों में नमी बनाये रखें। आम के पेड़ में मिलीबग (दहिया कीट) की निगरानी करें। यह कीट चिपटे गोल आकार के पंखहीन तथा शरीर पर सफेद दही के रंग का पॉउडर चिपका रहता है।
यह आम के पेड़ में मुलायम डालों और मंजर वाले भाग में बहुतो की संख्या में चिपका हुआ देखा जा सकता है तथा यह उन हिस्सों से लागातार रस चुसता रहता है जिससे अक्रान्त भाग सुख जाता है तथा मंजर झड़ जाते हैं। इस कीट से रोकथाम हेतु डाइमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1.0 मि०ली०/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर पेड़ पर समान रुप से छिडकाव करें।
लीची के पेड़ में फल बेधक कीट के शिशु जो उजले रंग के होते हैं। यह फलों के डंठल के पास से फलो में प्रवेश कर गुदे को खाते हैं जिससे प्रभावित फल खाने लायक नहीं रहता। इस कीट से बचाव हेतु लीची के पत्तियों एवं टहनियों पर प्रोफेनोफॉस 50 ई०सी० का 10 मि०ली० या कार्बारिल 50 प्रतिशत घुलनशील पॉवडर का 20 ग्राम दवा को 10 लीटर पानी में घोलकर अप्रैल माह में 15 दिनों के अन्तराल पर प्रति पेड़ की दर से दो छिड़काव करें।
खरपतवार रोग एवं कीट नियंत्रण हेतु पड़ती खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई करें। कीट नियंत्रण हेतु बसंतकालीन ईख तथा गरमा फसलों पर कीटनाशक एवं
फफूंदनाशक दवाओं का व्यवहार करें। हरा चारा के लिए मक्का, ज्वार, बाजरा तथा लोबिया की बुआई करें। हीट वेव की स्थिति को देखते हुए पालतू जानवरों तथा दुधारू पशुओं के रख रखाव तथा खान पान की विशेष ध्यान रखें। छायादार स्थानों पर रखें। स्वच्छ पानी पिलायें।