द न्यूज 15
नई दिल्ली। भले ही जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ७० के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने काम करने का प्रयास किया हो। जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाये गये उनके नसबंदी कार्यक्रम ने उनकी इस येाजना का पलीता लगा दिया था। जनसंख्या नियंत्रण पर अब मोदी सरकार औेर समर्थक सबसे ज्यादा जोर देते हैं। ऐसा चर्चा में था कि जल्द मोदी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर बिल लाएगी। पर इसे क्या कहा जाएगा कि जब भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर चर्चा के लिए एक प्राइवेट बिल आगे बढ़ाया तो स्वास्थ्य मंत्री ने इससे इनकार कर दिया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया के इनकार करने के बाद सांसद को अपने बिल को वापस लेना पड़ा। दरअसल स्वास्थ्य मंत्री का कहना था कि लोगों को बहुत अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नया इंडिया बन रहा है। दरअसल राकेश सिन्हा ने जुलाई 2019 में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था। इस बिल में दो-बच्चों वाले नियम लागू करने का प्रावधान था। शिक्षा और जागरुकता से होगा जनसंख्या नियंत्रण : मंडाविया ने बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए बताया कि बढ़ती जनसंख्या कई समस्याओं का कारण होता है। स्वास्थ्य मंत्री का विश्वास है कि शिक्षा और जागरुकता से जनसंख्या नियंत्रण हासिल कर लेंगे। मंडाविया के अनुसार देश में प्रजनन दर घटते घटते दो प्रतिशत तक पहुंच गई है। जनसंख्या वृद्धि की दर में भी लगातार गिरावट हो रही है। उनका कहना था कि 1971 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.20 प्रतिशत ही। 2011 में यह घटकर 1.64 प्रतिशत हो गई। उन्होंने इसे एक अच्छी सफलता माना। स्वास्थ्य मंत्री बोले जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो प्रयास किए गए हैं उसके अच्छे परिणाम आये हैं।
लोग खुद परिवार नियोजन अपनाएं : उन्होंने कहा कि हमें ऐसे ऐसे प्रयास करने हैं कि जिससे जनता खुद परिवार नियोजन को अपनाए। उन्होंने कहना था कि पहले जब बच्चों की संख्या अधिक होती थी तो बाल मृत्यु दर भी अधिक थी। लेकिन समय के साथ इसमें सुधार हुआ है।