कृष्ण कुमार चतुर्वेदी
क्या सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय देश में इतने पावरफुल हैं कि उपभोक्ता फोरम और जिला कोर्ट की बात छोड़ दीजिए, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी यह व्यक्ति कुछ नहीं समझ रहा है। ये साहब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी धता बताकर अपनी चला रहे हैं। तो यह माना जाये कि लगभग 8 वर्ष में सुब्रत रॉय ने यह दिखा दिया कि सुप्रीम कोर्ट मेरे आगे कुछ नहीं? सुब्रत रॉय यह सोचता है कि जैसे वह खुद कोर्ट है। राज्य सरकारें व केन्द्र सरकार व कानून इनके ठेंगे पर है!
सुब्रत रॉय ने ऐसी व्यवस्था बना रखी है कि पुलिस इनकी उंगलियों पर नाचती है। फिलहाल चर्चा है कि मामला विश्व का सबसे बड़ा घोटाला है। चर्चा यह भी है कि लगभग 5 लाख करोड़ की सोसाइटी के निवेशकों की देनदारी के इस मामले में देश के 13 करोड़ निवेशक व 70 करोड़ लोग प्रभावित हैं!! कहा जा रहा है कि लगभग 1 हजार से अधिक एफआईआर इनके नाम देश में दर्ज हो चुकी है, 20 से अधिक राज्यों की पुलिस इन साहब को ढूंढ रही है।
फिलहाल सुब्रत रॉय की तलाश में कल 12 थानों की पुलिस ने सहारा शहर में फर्जी छापामारी की। फर्जी इसलिए लिख रहा हूँ कि सुब्रत रॉय पुलिस की निगरानी में लगातार हैं। वो दिल्ली में हैं। उनको गनर मिले हुए हैं। पुलिस अगर उन्हें वाकई में गिरफ्तार करना चाहती है तो वह सुरक्षा में तैनात सुरक्षा गार्डों का सहारा ले सकती है। लेकिन मुझे लगता है कि यह सब मात्र दिखावा अथवा खानापूर्ति है।
फिलहाल इस देश में सुब्रत राय से बड़ा कोई नहीं हैं! क्योंकि सभी चुप हैं, गिरफ्तारी तो दूर की बात, इस बन्दे का कोई भी कुछ उखाड़ नहीं सकता।
फिलहाल इस देश में सुब्रत राय से बड़ा कोई नहीं हैं! क्योंकि सभी चुप हैं, गिरफ्तारी तो दूर की बात, इस बन्दे का कोई भी कुछ उखाड़ नहीं सकता।
क्या है 5 लाख करोड़ का है सोसाइटी घोटाला
बताया जा रहा है कि सहारा का मामला टू जी स्पेक्ट्रम से भी बड़ा है। टू जी तो महज कागज पर ही था। सहारा का मामला आम जनता से पैसे लेने का है। देश के कई राज्यों में सहारा से भुगतान पाने के लिए त्राहि-त्राहि मची है। सरकारी आंकड़ों में लगभग 13 करोड़ निवेशकों का धन सहारा ने मेच्योरिटी पूरी होने के बाद भी अभी तक वापस नहीं किया है। निवेशक दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, और सुब्रत रॉय चुप हैं।
सहारा समूह ने पिछले वर्ष ही ये स्वीकार किया था कि लगभग डेढ़ लाख करोड़ की देनदारी पब्लिक की समूह के ऊपर है। हालांकि बताया जाता है कि इससे कई गुना देनदारी आम जनता की सहारा समूह के ऊपर है जो लगभग 4 से 5 लाख करोड़ की आंकी जा रही।
सुब्रत राय पर अब दया करना जनहित में नहीं है। केंद्र सरकार अब किसी भी दिन इनके ऊपर हंटर चला सकती है, क्योंकि कई राज्यों में सहारा के निवेशक ‘सहारा से भुगतान नहीं, तो 24 में मतदान नहीं’ का नारा बुलंद कर रहें हैं. केंद्र सरकार व वित्त मंत्रालय की नजर में अब ये समूह किरकिरी बन गया है।
कंपनी के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2021 तक 1 लाख 5 हजार करोड़ आठ सौ चौवन रुपये की महज देनदारी है। यह आंकड़ा 31 मार्च 2021 का है। लगभग 1 वर्ष से अधिक समय हो गया कंपनी के ही इस आंकड़ों में अगर देखें तो लगभग दो लाख करोड़ की देनदारी 2022 अंत तक हो चुकी होगी। जबकि वास्तविक रूप से यह आंकड़ा चार 5 लाख करोड़ के आसपास का बताया जा रहा है।
कंपनी के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2021 तक 1 लाख 5 हजार करोड़ आठ सौ चौवन रुपये की महज देनदारी है। यह आंकड़ा 31 मार्च 2021 का है। लगभग 1 वर्ष से अधिक समय हो गया कंपनी के ही इस आंकड़ों में अगर देखें तो लगभग दो लाख करोड़ की देनदारी 2022 अंत तक हो चुकी होगी। जबकि वास्तविक रूप से यह आंकड़ा चार 5 लाख करोड़ के आसपास का बताया जा रहा है।