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Haryana Assembly Elections : केजरीवाल के साथ ही अब शैलजा भी बनी कांग्रेस की टेंशन!

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चरण सिंह
हरियाणा में अरविंद केजरीवाल के साथ ही अब कुमारी शैलजा भी कांग्रेस के लिए टेंशन बनती जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अपने समर्थकों को कम टिकट मिलने से नाराज हैं और चुनाव प्रचार में नहीं जा रही हैं। मात्र ९ टिकट उनकी समर्थकों को मिलने को वह अपना अपमान समझ रही हैं। उधर बीजेपी ने कुमारी शैलजा की नाराजगी को भुनाना शुरू कर दिया है। टिकट बंटवारे में कुमारी शैलजा को कम तवज्जो देने को बीजेपी ने कांग्रेस को दलित विरोधी करार दे दिया है।
दरअसल हरियाणा में ज्यों-ज्यों विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं त्यों त्यों चुनावी माहौल गर्म होता जा रहा है। इन चुनाव में समीकरण कांग्रेस के पक्ष में बताये जा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खुलकर खेलने का मौका दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह से कांग्रेस का वोट काटना चाहती है। एक ओर जहां अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के पीछे भाजपा का हाथ बताया जा रहा है वहीं बीजेपी कुमारी शैलजा की नाराजगी को हवा दे रही है। दरअसल कुमारी शैलजा कई दिनों से चुनाव प्रचार में नहीं जा रही हैं और न ही वह आजकल कोई प्रेस रिलीज जारी कर रही हैं।
बताया जा रहा है कि टिकट बंटवारे में उन्हें तवज्जो न मिलने से वह नाराज हैं। दरअसल कांग्रेस ने ९० सीटों में से ८९ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं। इन प्रत्याशियों में से ७० प्रत्याशी हुड्डा लॉबी के तो ९ प्रत्याशी शैलजा लॉबी के बताए जा रहे हैं। अपने समर्थकों को कम टिकट मिलन से शैलजा नाराज बतायी जा रही हैं। उधर शैलजा की नाराजगी को बीजेपी ने हवा दे दी है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस दलित विरोधी पार्टी है। जब हरियाणा में दलितों को तवज्जो नहीं दी जा रही है तो फिर दूसरे राज्यों में कांग्रेस दलितों की क्या सुध लेगी ? बसपा के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर आकाश आनंद भी शैलजा की उपेक्षा का मुद्दा उठा चुके हैं। उन्होंने कुमारी शैलजा को बसपा में शामिल होने का ऑफर दे दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कुमारी शैलजा का अपमान किया जा रहा है।
दरअसल शैलजा का परिवार पुराना कांग्रेस रहा है। उनके पिता भी बड़े कांग्रेसी थे। शैलजा भी लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति कर रही हैं। वह हरियाणा की कद्दावर नेता मानी जाती हैं। 2019 के विधानसभा में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और शैलजा के बीच विवाद देखा गया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के विवाद के चलते कांग्रेस का चुनाव बिगड़ गया था। अंत समय में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव में अगुवाई करने का मौका दिया था। जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा था। भूपेद्र सिंह हुड्डा फिर भी 30 सीट हासिल कर ले गये थे। इन चुनाव में कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला केंद्र की राजनीति करेंगे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव अपने हिसाब से लड़ने का अधिकार दे दिया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शैलजा समर्थकों को मात्र ९ सीटें देने से वह नाराज हो गई है। बीजेपी ने शैलजा की नाराजगी को भुनाने का पासे फेंकने शुरू कर दिये हैं। दरअसल चौधरी देवीलाल, भजनलाल, बंसीलाल के बाद ओमप्रकाश चौटाला के बाद अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाटों के सर्वमान्य नेता माना जा रहे हैं। हरियाणा पर लंबे समय तक राज करने वाली इनेलो से बसपा ने गठबंधन किया है। जेजेपी से चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने गठबंधन किया है।
उधर आम आदमी पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अपनी सहयोगी आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया है। अब वह हरियाणा  में खुलकर चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि कांग्रेस से उनकी पार्टी का गठबंधन नहीं हो पाया है। ऐसे में उनका प्रयास होगा कि वह अधिक से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाने में कांग्रेस के साथ सौदेबाजी करें। हरियाणा की सौदेबाजी उनके दिल्ली में भी काम आ सकती है।