गुरुवर तब सम्बल बने

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दूर तिमिर को जो करें, बांटे सच्चा ज्ञान।
मिट्टी को जीवित करें, गुरुवर वो भगवान।।
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जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।
गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।।
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नानक, गौतम, द्रोण सँग, कौटिल्या, संदीप।
अपने- अपने दौर के, मानवता के दीप।।
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चाहत को पर दे यही, स्वप्न करे साकार।
शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार।।
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शिक्षक तो अनमोल है, इसको कम मत तोल।
सच्ची इसकी साधना, कड़वे इसके बोल।।
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गागर में सागर भरें, बिखराये मुस्कान।
सौरभ जिसे गुरू मिले, ईश्वर का वरदान।।

(सत्यवान ‘सौरभ’ के चर्चित दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ से )

 सत्यवान ‘सौरभ’,
(लेखक रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट हैं)

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