Gujarat Riots : क्या गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी को फांसी दिलवाने की तीस्ता सीतलवाड़ ने रची थी साजिश?

Gujarat Riots : एसआईटी ने किया है दावा

गुजरात दंगों के मामले में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने एक चार्जशीट दायर की है। यह चार्जशीट एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्री कुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ दायर की गर्स है। इसमें आरोप लगाया गया है कि इन तीनों ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक करियर खराब करने, बदनाम करने और कथित तौर पर उन्हें फांसी की सजा दिलाने की साजिश रची थी।
डीआईजी दीपन भद्रन एसआईटी के प्रमुख हैं और आतंकवाद विरोधी दस्ते का हिस्सा हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को पुष्टि की कि आरोप पत्र मंगलवार को अहमदाबाद में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपेलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर किया गया गया था। अहमदाबाद के म्ट्रिरेट कोर्ट में दायर की गई है। १०० पन्नों की चार्जशीट में तीनों पर नकली सुबूत गढ़ने और पीएम मोदी को बदनाम करने की कोशिश का आरोप है। इसके अलावा राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री को बदनाम करने के इरादे से दंगे में मारे गये पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी के नाम पर याचिकाएं और आवेदन दायर करने का भी आरोप लगाया गया है। चार्जशीट में लिखा गया है कि पीड़ितों को गुजरात से बाहर अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया, जहां उनके दुख-दर्द के नाम पर चंदा इकट्ठा किया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि सीतलवाड़ और भारतीय नेशनल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मिलकर दंगा पीड़ितों के कैंप में जाकर कहा था कि गुजरात में इंसाफ नहीं मिलेगा। इसलिए राज्य से बाहर कोर्ट में अपील करनी चाहिए। यह भी कहा गया है कि सरकार के खिलाफ एफिडेविड दाखिल नहीं करने पर एक गवाह संजीव भट्ट ने अपहरण तक किया था और बाद में फर्जी एफिडेविड दाखिल करवाया था। इससे पहले जुलाई में एसआई ने चार्जशीट दायर कर आरोप लगाया था कि गोधरा की घटना के बाद दंगे भड़कने के बाद सीतलवाड़ और कांग्रेस नेता अहमद पटेल, भट्ट और श्री कुमार ने एक-दूसरे से संपर्क किया और कई बैठकें कीं। इसे लेकर की बेटी मुमताज पटेल ने एसआईटी के आरोपों पर नाराजगी जताते हुए का था कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि यह अनुमचित है लेकिन एक मृत व्यक्ति के नाम का उपयोग करना बहुत आसान है। वह यहां अपना बचाव करने के लिए नहीं हैं और उनका परिवार होने के नाते हम और कुछ नहंीं कर सकते क्योंकि हम उनके काम में शामिल नहीं थे। दरअसल तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी मामला दर्ज किया गया था। जून के आखिरी हफ्ते में गिरफ्तार सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के २ सितम्बर के आदेश के बाद अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वहीं श्री कुमार फिलहाल जेल में बंद हैं, जबकि भट्ट पालनपुर की जेल में हैं, जहां वह मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हंै।

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