
स्थानीय प्रतिभाओं को चाहिए मार्गदर्शन और संसाधन: रौशन कुमार
सकरा: विधानसभा क्षेत्र में विगत दो दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रही आर्यभट साइंस एवं आर्ट्स कोचिंग द्वारा एक गरिमामयी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह संस्थान निरंतर विद्यार्थियों के शैक्षणिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास के लिए कार्यरत रहा है। संस्था की अनुभवी और समर्पित शिक्षकों की टीम ने अनेक विद्यार्थियों को उत्कृष्ट सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
क्षेत्र में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस ज़रूरत है उन्हें सही मार्गदर्शन और संसाधनों की – यह बात कृषि जागरण बिहार के प्रमुख रौशन कुमार ने कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कृषि विश्वविद्यालयों में स्थानीय छात्रों की भागीदारी लगातार घट रही है, जो बेहद चिंता का विषय है। रौशन कुमार ने इसका मुख्य कारण सरकारी योजनाओं के धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन की कमी, विद्यालयों में प्रायोगिक सुविधाओं का अभाव और छात्रों में जानकारी की कमी को बताया। उन्होंने कहा कि यदि युवाओं को योजनाओं की सही जानकारी दी जाए और उन्हें उनके लाभ उठाने का तरीका समझाया जाए, तो वे बड़े संस्थानों में दाखिला लेकर न केवल अपने भविष्य को सशक्त बना सकते हैं, बल्कि समाज और क्षेत्र के विकास में भी योगदान दे सकते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों में सीट कटौती को भी चिंता का विषय बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच और कठिन हो रही है। उन्होंने बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों से अपील की कि वे केवल अकादमिक शिक्षा तक सीमित न रहें, बल्कि सामाजिक शिक्षा और सामाजिक चेतना की ओर भी कदम बढ़ाएं।
समारोह के मुख्य अतिथि, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी रुपेश कुमार यादव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “शिक्षा जीवन की सबसे मूल्यवान निधि है। समाज के प्रत्येक वर्ग की समान सहभागिता शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज गाँवों के छात्र राज्य स्तरीय परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं, किंतु उच्च शिक्षा की स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है। क्षेत्र में प्रोफेसरों की संख्या नगण्य है और विद्यार्थियों पर मानसिक दबाव अत्यधिक बढ़ गया है। सोशल मीडिया का अंधाधुंध उपयोग छात्रों के लिए बाधा बनता जा रहा है, जिसे नियंत्रित कर सकारात्मक दिशा में प्रयुक्त किया जाना चाहिए।
जिला पार्षद अनिल कुमार ने छात्रों को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्राप्त करने की सलाह दी ताकि वे अल्प समय में ही बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा को समय की मांग बताया।
कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि कोचिंग संस्थान के कई विद्यार्थियों ने दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षाओं में 90% से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, जबकि 150 से अधिक छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। इस उपलब्धि पर संस्थान के शिक्षकों एवं अभिभावकों ने हर्ष और संतोष व्यक्त किया।संस्थान के शिक्षक – लाल मोहम्मद, क्वैसर, नितेश, अनवर, मुस्तफा तथा शिक्षिका दिव्या कुमारी ने विद्यार्थियों की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि विद्यार्थियों को निरंतर मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान किया जाएगा।
शिक्षक नूर आलम, जिन्होंने कार्यक्रम का संचालन किया, ने कहा, “शिक्षा के अभाव में कोई भी व्यक्ति जीवन में सच्चा सुख और संतोष प्राप्त नहीं कर सकता।” उन्होंने यह घोषणा भी की कि आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली छात्रों को संस्थान द्वारा नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। यह समारोह न केवल विद्यार्थियों के लिए एक सम्मान का अवसर रहा, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता, उसके सामाजिक दायित्व और छात्रों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक प्रेरक पहल भी सिद्ध हुआ।