वर्षों से खराब पड़ा है गोदाम का कांटा
राम विलास
राजगीर। स्टेट फूड कॉरपोरेशन के गोदाम से राजगीर और बेन प्रखंड के जन वितरण प्रणाली बिक्रेताओं को बिना वजन किये ही अनाज की आपूर्ति करने की शिकायत है।डीलरों के अलावे आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों को भी बिना वजन कराये ही अनाज की आपूर्ति की जाती है। इससे डीलरों सहित आंगनबाड़ी सेविकाओं और स्कूलों के हेडमास्टरों में गहरी नाराजगी है। लेकिन वे सभी लाचार हैं। वह चाह कर भी मुंह नहीं खोल पाते हैं।
बोलने पर उल्टे डीलरों, आंगनबाड़ी सेविकाओं और हेडमास्टरों पर ही गाज गिरना तय हो जाता है। इसी डर के मारे कोई भी डीलर एवं अन्य खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। डीलरों की माने तो स्टेट फूड कॉरपोरेशन के गोदाम में बोरा वजन करने के लिए कोई उपकरण कांटा नहीं है। इस संबंध में पूछे जाने पर गोदाम मैनेजर गीतांजलि कुमारी बताती हैं कि वजन करने के उपकरण कांटा गोदाम में उपलब्ध है। लेकिन उनके पदभार ग्रहण करने के पहले से ही खराब है।
खराब कांटा को शीघ्र बनवाया जायेगा। सूत्रों के अनुसार जिन डीलरों को इस गोदाम से अनाज की आपूर्ति की जाती है, उसका वजन विभिन्न जगहों के निजी धर्मकांटा पर कराया जाता है। एक धर्मकांटा सिलाव में, दूसरा छबिलापुर में और तीसरा राजगीर के अयुध निर्माणी बाइपास में है। इस गोदाम से राजगीर और बेन प्रखंड के 111 डीलरों को अनाज की आपूर्ति की जाती है।
दोनों प्रखण्डों के स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों को भी अनाज की आपूर्ति यहीं से की जाती है। निजी धर्मकांटा पर वजन करने के दौरान अधिक वजन होने पर अगले महीने उतने अनाज की कटौती की जाती है। और कम वजन होने पर अगले महीने उतने की आपूर्ति कर दी जाती है। डीलरों की माने तो धर्मकांटा पर एफसीआई की कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि वजन बढ़ने पर अनाज निकाल लिया जाय और घटने पर उसकी पूर्ति कर दी जाय।
राजगीर के शहरी क्षेत्र में एक भी धर्मकांटा नहीं है। इसलिए सालों बिना वजन के ही नगर परिषद के डीलरों को अनाज की आपूर्ति की जाती है। सूत्रों के अनुसार जिन ट्रैक्टरों से डीलरों को अनाज की आपूर्ति की जाती है। उन सभी ट्रैक्टरों में जीपीएस लगा हुआ है। गोदाम से बिना बजन और कम अनाज की आपूर्ति बाद भी डीलर खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें डर है कि बोलने पर उन्हें बलि का बकरा बना दिया जायेगा।
राजगीर शहर के डीलर बिना वजन के ही अनाज का उठाव इसलिए भी करते हैं कि धर्म कांटा गोदाम से बहुत दूर है। ट्रैक्टर को ले जाने और वहां से लाने में डीलरों को दुगुना किराये का भुगतान करना पड़ेगा। दूसरी तरफ डीलरों की शिकायत है कि बिना वजन अनाज की आपूर्ति करने से उन्हें हर महीने आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है। अपवाद छोड़कर किसी भी बोरे में सही वजन नहीं रहता है। इसका खामियाजा डीलरों को भुगतना पड़ रहा है।
ग्राहकों की नजर में डीलर चोर है। दूसरी तरफ गोदाम मैनेजर द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है। डीलरों की माने तो इसकी शिकायत करने पर भी किसी स्तर से ऐक्शन नहीं लिया जाता है। मई महीने के आरंभ में डीलरों को सड़ा अनाज दिया गया है। हालांकि गोदाम मैनेजर इससे इनकार करती हैं।उपभोक्ताओं द्वारा सड़ा अनाज उठाव करने में केवल आनाकानी ही नहीं किया जाता है, बल्कि आरोप भी लगाया जाता है।