झाझा के नागी नकटी डैम में दिखी झलक
दीपक कुमार तिवारी
पटना। चीन से इंडियन स्कीमर की तेरह साल बाद घर वापसी हुई है। बिहार के जमुई जिले के झाझा प्रखंड स्थित नागी-नकटी डैम में दो जोड़ा देखा गया है। वन विभाग का दावा बिहार के सिर्फ और सिर्फ जमुई में यह प्रजाति दिखा है। यह प्रजाति विलुप्ति के कगार पर थी। पूरे विश्व में इसकी जनसंख्या 5000 बची हुई है। इसके पीछे का कारण जल प्रदूषण बताया जाता है।
इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।जिला वन पदाधिकारी पीयूष बरनवाल ने बताया कि यह जोड़ा के रूप में रहता है। और ताजे पानी के जल स्रोत के समीप इसका वास होता है। यह आमतौर पर मछली और छोटे-छोटे कीट पतंग को खाना पसंद करता है।इसका सिर काला रंग का होता है और चोंच पीला रंग का होता है।
यह भोजन की तलाश में उड़ते हुए बहुत दूर तक चला जाता है।
यह प्रजाति पूर्व में भारत में काफी तादात में पाई जाती थी।लेकिन जल प्रदूषण के कारण यह प्रजाति भारत से प्रवासित होकर चीन में वास करने लगी थी। यह बड़े-बड़े नदियों के समीप अंडा देने का काम करती थी और वह अंडा पानी के प्रदूषण के कारण समुचित तरीके से विकसित नहीं हो पाता था। अंडे का समुचित तरीके से विकास नहीं होना ही इसके प्रवासन का मूल कारण था।
इस डैम की जलवायु बिल्कुल ही इसके अनुकूल है और यहां पर यह अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है आमतौर पर इस जगह पर अक्टूबर माह के अंत से लेकर दिसंबर माह के अंत तक प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है।
इस प्रजाति के संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। पूरे विश्व में इसकी संख्या पांच से सात हजार के बीच है और इसे दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों में शामिल किया गया है।इसे वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 2022 के तहत दुर्लभ प्रजाति का दर्जा प्रदान किया गया है।वन्य प्राणी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया किसकी तादाद पूरे विश्व में काफी कम हो गई है और शिकार के कारण यह दुर्लभ होते चले जा रहे हैं।