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सुशासन बाबू का बिहार देश में गरीबी में टाॅप 

सुशासन बाबू का बिहार
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समी अहमद
बिहार की डबल इंजन सरकार के मुख्यमंत्री सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार का बिहार गरीबी में देश में टाॅप आया है लेकिन यह खबर बिहार में एक तरह से दब सी गयी है। नीति आयोग द्वारा ताजा जारी बहुआयामी निर्धनता सूचकांक या एमपीआई में पोषण, बाल व किशोर मृत्युदर, स्कूल उपस्थिति, रसोई ईंधन, सफाई, पेयजल, बिजली, घरेलू पूंजी और बैंक खाते आदि बारह आयाम हैं।
नीति आयोग की इस रिपोर्ट में बिहार को देश का सबसे गरीब राज्य बताया गया है। झारखंड और उत्तर प्रदेश गरीबी के लिहाज से दूसरे और तीसरे स्थान पर बताये गये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2005 से लगतार बिहार के मुख्यमंत्री हैं और लगातार विकास का दावा करते रहे हैं। इसके बावजूद बिहार स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग-धंधे के मामले में तुलनात्मक रूप से पिछड़ा ही माना जाता है।
यह रिपोर्ट राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे या एनएफएचएस के आधार पर 2015-16 के संदर्भ में तैयार की गयी है। इस सर्वेे में बिहार के 51.96 प्रतिशत लोगों को निर्धन की श्रेणी में रखा गया है। बिहार से 21 साल पहले अलग हुए झारखंड को दूसरा सबसे गरीब राज्य बताया गया है जहां की 42.17 प्रतिशत आबादी गरीब मानी गयी है। इसी तरह उत्तर प्रदेश मंे 37.79 प्रतिशत लोगों को गरीब की श्रेणी में रखा गया है जो देश में तीसरा सबसे अधिक है। इस रिपोर्ट में सबसे कम गरीब केरल को बताया गया है जहां की एक प्रतिशत से भी कम आबादी गरीब मानी गयी है।
इस रिपोर्ट में बिहार की 51.88 प्रतिशत आबादी को पोषण से वंचित श्रेणी में रखा गया है जबकि 45.62 प्रतिशत महिलाओं को मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित की श्रेणी में रखा गया है। बिहार में अब भी 63.30 प्रतिशत घरों में रसोई गैस की जगह लकड़ी और कोयला ही से चूल्हा जलाते हैं।
इस बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेेते हुए कहा है कि उन्हें शर्म आनी चाहिए क्योंकि बिहार का स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी में बुरा हाल है।
हालांकि कुछ मामलोें में बिहार की स्थिति में सुधार भी बताया गया है। जैसे, पांच साल पहले के सर्वे में बिहार के 73.61 प्रतिशत घरों को सफाई से वंचित बताया गया था। इस बार उसमें कमी आयी है और यह 50.60 प्रतिशत तक आया है। इसी तरह पेयजल से वंचित घरों का प्रतिशत 2.34 प्रतिशत है जो देश में दूसरा सबसे बेहतर अनुपात है।
इस बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर बात टाल दी कि उन्हें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। दूसरी ओर भाजपा के प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि नीति आयोग का आकलन गलत जानकारी पर आधारित है। उनके अनुसार पिछले 15 सालों में बिहार की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है और बजट आकार भी बढ़ा है।