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भावना से याद करने से भगवान मिलते है : छोटे बापू माहाराज

वैशाली, मोहन कुमार सुधांशु

“गो यानी इंद्रिय पी यानी पीना ज्ञान इंद्रियों के द्वारा जो परमात्मा प्रेम का रसपान करते रहते है वही गोपी है” जिनके मन मे भगवान को प्राप्त करने की प्रबल कामना होती है वही गोपी है। इसलिये ब्रज की गोपियां आदि शक्ति माँ भगवती कात्यायनी की पूजा करते थे।उक्त बातें गोरौल प्रखंड के चैनपुर गांव स्थित सर्व मनोकामना सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दौरान भगवत मर्मज्ञ छोटे बापू जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि वृंदावन में निवास करने बाली गोपियां हमारे आपके जैसे जीव नही है। यह वह पुण्य आत्माएं है जो गोपी रूप में भगवान से प्रेम करने के लिये प्रकट हुई है। भगवान ने उनके बस्त्र को चुराकर गोपियों को यह समझाया कि पूजा करना , जमुना जी मे स्नान करना धर्म है, लेकिन पूजा करने में किसी प्रकार का अपराध न हो इसका ध्यान रखना चाहिये। बिना बस्त्र जमुना जी ही नही किसी भी नदी मे प्रवेश नही करना चाहिये। इससे वरुण देवता का अपमान होता है।भगवान द्वारा गोपियों के चीरहरण करने का उद्देश्य यह कि की उनके द्वारा हो रहे अपराध से बचाना। कथा में तीन प्रकार के अभिमान का वर्णन किया गया।देवराज इंद्र की अभिमान मर्दन, श्री गोवर्धन पूजा प्रसंग पर विशेष प्रकाश डाला। कथा के बीच मे अयोध्या से आये सियाराम दास जी महाराज, मध्य प्रदेश दंतिया से आये रामा शंकर मिश्र के गाये जा रहे भजन से लोग भाव विभोर हो रहे थे।कथा में सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुच रहे है।इंद्रियों के द्वारा जो परमात्मा प्रेम का रसपान करते रहते है वही गोपी है” जिनके मन मे भगवान को प्राप्त करने की प्रबल कामना होती है वही गोपी है। इसलिये ब्रज की गोपियां आदि शक्ति माँ भगवती कात्यायनी की पूजा करते थे। उक्त बातें गोरौल प्रखंड के चैनपुर गांव स्थित सर्व मनोकामना सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दौरान भगवत मर्मज्ञ छोटे बापू जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि वृंदावन में निवास करने बाली गोपियां हमारे आपके जैसे जीव नही है. यह वह पुण्य आत्माएं है जो गोपी रूप में भगवान से प्रेम करने के लिये प्रकट हुई है। भगवान ने उनके बस्त्र को चुराकर गोपियों को यह समझाया कि पूजा करना , जमुना जी मे स्नान करना धर्म है, लेकिन पूजा करने में किसी प्रकार का अपराध न हो इसका ध्यान रखना चाहिये।बिना बस्त्र जमुना जी ही नही किसी भी नदी मे प्रवेश नही करना चाहिये. इससे वरुण देवता का अपमान होता है. भगवान द्वारा गोपियों के चीरहरण करने का उद्देश्य यह कि की उनके द्वारा हो रहे अपराध से बचाना
। कथा में तीन प्रकार के अभिमान का वर्णन किया गया. देवराज इंद्र की अभिमान मर्दन, श्री गोवर्धन पूजा प्रसंग पर विशेष प्रकाश डाला. कथा के बीच मे अयोध्या से आये सियाराम दास जी महाराज, मध्य प्रदेश दंतिया से आये रामा शंकर मिश्र के गाये जा रहे भजन से लोग भाव विभोर हो रहे थे।कथा में सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुच रहे है।अंत मे छोटे बापू महाराज ने कहा भावना से याद करने से भगवान मिलते है।

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