साध्‍वी निरंजन ज्‍योति को रोककर खुद जवाब देने लगे गिरिराज सिंह, गुस्सा हो गए स्पीकर

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने गिरिराज सिंह से कहा कि माननीय मंत्री जी यह ठीक नहीं है। सभी सवालों का जवाब राज्यमंत्री को ही देना चाहिए। एक के बाद दूसरे को नहीं। आपको हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। राज्यमंत्री को जवाब पूरा करने दीजिए

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को अपने सहयोगी के जवाब में हस्तक्षेप करने के लिए फटकार लगाई। साथ ही कहा कि सदन में किसी सवाल और उसके पूरक सवाल  का जवाब एक ही मंत्री को देना चाहिए। उन्होंने यह टिप्पणी तब कि जब गिरिराज सिंह प्रश्नकाल के दौरान ग्रामीण विकास मंत्रालय के दूसरे पूरक प्रश्न का उत्तर देने के लिए खड़े हुए। इससे पहले साध्वी निरंजन ज्योति ने पहले प्रश्न का उत्तर दिया था।
उन्होंने कहा, “माननीय मंत्री, यह उचित नहीं है। सभी सवालों का जवाब राज्य मंत्री या कैबिनेट मंत्री में से किसी एक को ही देना चाहिए। एक के बाद दूसरे जवाब नहीं देना चाहिए। आपको हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। राज्य मंत्री (ज्योति) को जवाब पूरा करने दें।” इसके बाद गिरिराज सिंह को बैठना पड़ा और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने शेष पूरक प्रश्नों का उत्तर दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को बहस के दौरान संबंधित मंत्री के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना टिप्पणी करने के बाद सदस्यों के सदन छोड़ने पर गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि वह ऐसे नेताओं की पार्टियों से कहेंगे कि सदन में चर्चा के दौरान उन्हें हिस्सा न लेने दें। बिरला ने यह टिप्पणी तब की जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह कांग्रेस के एक सांसद द्वारा उठाए गए बिंदु का जवाब दे रही थीं, जो सदन में मौजूद नहीं थे।
वित्त मंत्री केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 2022-23 के बजट और 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर बहस का जवाब दे रही थीं। स्पीकर ने कहा कि मंत्री को इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सदस्य मौजूद नहीं है। बिरला ने कहा, “सांसदों के सदन में नहीं रहने पर मैने गंभीरता से विचार किया है और यह गहरी चिंता का विषय है। उत्तर न दें। मैं उनकी पार्टियों को यह कहना चाहता हूं कि उन्हें बहस के दौरान हिस्सा नहीं लेने दिया जाए।”
बिरला ने सोमवार को ऑस्ट्रियाई संसदीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात भी की और कहा कि दोनों देशों को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों में गहरा विश्वास है, जो उनके द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हैं। इस दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत राजनयिक प्रयासों के माध्यम से यूक्रेन में शांति स्थापित करना चाहता है।

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