राइजोपस स्टोलोनिफर नामक फंगस का भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है प्रकोप : डा संजय कुमार सिंह।

कटहल के बाग में किसान इस रसायन का करें छिड़काव, मिलेगी बंपर पैदावार 

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा।डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलोजी, प्रधान अन्वेषक सह विभागाध्यक्ष डा संजय कुमार सिंह के अनुसार राइजोपस स्टोलोनिफर नामक फंगस से सिर्फ भारत के ही किसान परेशान नहीं हैं, बल्कि पूरी दुनिया में इसका प्रकोप है. खास बात यह है कि यह फंगस कटहल के अलावा अन्य सब्जियों पर भी असर डालता है।

 

कटहल की खेती पूरे भारत में होती है. इसका मार्केट में रेट 50 से 60 रुपये किलो हमेशा रहता ही है. खास कर लोग इसकी सब्जी बड़े ही चाव के साथ खाते हैं. इसके अलावा कटहल का उपयोग अचार बनाने में भी किया जाता है. ऐसे में अगर किसान भाई कटहल की खेती करते हैं, तो उनकी इनकम बढ़ जाएगी. बिहार और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में किसान कटहल की बागवानी भी करते हैं. लेकिन अप्रैल महीने में फंगस के हमले से बाग को नुकसान पहुंचता है. अगर किसान भाई वैज्ञानिकों के द्वारा तकनीक इब्न टिप्स को मानें तो वे कटहल के बाग को फंगस से सुरक्षित रख सकते हैं।

देश के वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार सिंह ने कटहल की खेती करने वाले किसानों को इस महीने में खास सावधानी बरतने की अपील की है. उनका कहना है कि इस महीने में मौसम में बदलाव होता है. इससे बागों में अपने- आप फंगस पनपने लगते हैं, जो कटहल के पौधौं और पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. खास कर राइजोपस स्टोलोनिफर नामक फंगस इस समय कटहल के फल को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. इसके प्रकोप की वजह से कटहल के बाग में लगे के छोटे फल सड़ने लगते हैं. इससे पैदावार प्रभावित हो जाती है।

पूरी दुनिया में किसान हैं परेशान:
डॉ संजय कुमार सिंह के मुताबिक, राइजोपस स्टोलोनिफर नामक फंगस से सिर्फ भारत के ही किसान परेशान नहीं हैं, बल्कि पूरी दुनिया में इसका प्रकोप है। खास बात यह है कि यह फंगस कटहल के अलावा अन्य सब्जियों पर भी असर डालता है। यह फंगस आलू, स्ट्रॉबेरी और सब्जियों में भी बीमारी फैलाता है, जिससे वे सड़ने लगते हैं।

इस बीमारी के लक्षण पर एक नजर डालने पर राइजोपस स्टोलोनिफर नामक फंगस सबसे पहले कटहल के फूलों और फलों को प्रभावित करता है।जिससे ये सड़ने लगते हैं। यह फंगस फलों के ऊपर भूरे रंग का धब्बा बनता है, जो बाद काले मोल्ड में बदल जाता है। इससे कटहल के फल सड़ जाते हैं। इससे फसल की पैदावार प्रभावित होती है। लेकिन आप इस फंगस के प्रभाव से बचना चाहते हैं तो कटहल के पेड़ों की कटाई- छटाई करते रहें। साथ ही पेड़ों पर लगे और जमीन पर गिरे सभी संक्रमित फलों को बाग से हटा दें।

जब भी कटहल की तोड़ाई करें तो फलों को भी सावधानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाएं। साथ ही फलों को गर्म और कम हवादार कमरे में भंडारित न करें। हो सके तो इसे 10°C से कम तापमान पर स्टोर रूप में स्टोर करें, क्योंकि राइजोपस 4°C पर बीजाणु उत्पन्न नहीं करता है।वहीं डॉ एसके सिंह का कहना है कि कटहल में होने वाली इस बीमारी को रोकरने के लिए कवकनाशी का पेड़ों पर छिड़काव करते रहें। मैनकोजेब इसके लिए कारगर कवकनाशी दवा है। यह फफूंद को पनपने नहीं देता है।

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