Foreign travel : कुंडली देखी और चल दी यूरोप यात्रा पर
कृष्णा नारायण
Foreign Travel : पिछले कुछ समय से विदेश जाना चाहते हैं पर जा नहीं पा रहे हैं ? हर कोशिश नाकाम हो रही है। क्या करें कि बात बन जाये ? कई नौकरीपेशा लोग यह प्रश्न लेकर हमारे पास आते हैं और जानना चाहते हैं कि क्या ज्योतिष के पास इस प्रश्न का उत्तर है ? कुछ लोग तो सिर्फ घूमने के ख्याल से विदेश जाने की चाह जताते हुए यह पूछते हैं की उनकी कुंडली से देखकर उन्हें बताया जाए कि विदेश जाने का योग कब बन रहा है ? खुद मेरे दिमाग में भी यही सब चल रहा था| पिछले एक वर्ष से यूरोप जाने की योजना बन रही थी पर मामला कुछ समझ में नहीं आ रहा था| कोरोना और रूस यूक्रेन लड़ाई का दंश झेल रहे समय में मेरी विदेश यात्रा हो पायेगी? बड़ी उहा पोह वाली स्थिति थी|
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मैंने सोचा कि क्यों न कुंडली देखी जाये| कुंडली के माध्यम से यह देखा जाये कि विदेश जाने का योग कब बन रहा है|मैंने अपनी कुंडली खोली| कुंडली सामने रखकर विश्लेषण आरंभ किया| Horoscope Analysis के आधार पर मैंने पाया कि मेरा विदेश जाना तो तय है| पर लाख टके का सवाल मुंह बाये खड़ा था कि जाना तो है पर कब ? कुंडली के सूक्ष्म विश्लेषण के साथ साथ मैंने ज्योतिष के कुछ अन्य टूल का प्रयोग किया और उसके आधार पर यह जाना कि अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह के बाद से विदेश यात्रा का प्रबल संकेत मिल रहा है| क्या है वह ज्योतिषीय योग जिनको देख कर मैंने विदेश यात्रा की जानकारी हासिल की, इसकी जानकारी विस्तार से मैं दूंगी|
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इस आलेख के माध्यम से इस प्रकार के सवालों से उलझे हुए व्यक्तियों को तो जवाब मिलेगा ही साथ ही साथ मैं उन्हें अपनी विदेश यात्रा के बारे में भी बताऊँगी| तीन महीने के यूरोप यात्रा में हमें एक बहुत ही छोटे देश Trip to Luxembourg के साथ साथ इटली, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, पेरिस, बेल्जियम, नीदरलैंड और एम्स्टर्डम और ऑस्ट्रिया जाना है| हमारी यात्रा अभी जारी है| इस यात्रा में अब तक हमने बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड जर्मनी और Trip to Luxembourg का है| आज आप सबको मैं लक्जमबर्ग ले चलूंगी| आप सबके मन में यह प्रश्न आएगा कि फ्रांस, पेरिस, स्विट्ज़रलैंड आदि देश छोड़कर मैं ये कौन सा देश आप सबको ले जा रही हूँ| आपके प्रश्न का उत्तर यह है कि उन जगहों पर तो सब जाते ही हैं| कुछ नए जगह की खोज और न सिर्फ खोज बल्कि उस जगह की यात्रा काफी रोमांचकारी होती है| आप सब भी जब यूरोप यात्रा का प्लान बनाएं तो लक्ज़म्बर्ग घूमने का प्रोग्राम अवश्य बनाएं|
Horoscope Analysis के आधार पर 20 मई को हमारी यूरोप यात्रा आरंभ हुई| दिल्ली से ज़्यूरिख होते हुए हम यूरोपीय संघ की चार आधिकारिक राजधानियों में से एक, लक्ज़मबर्ग पहुंचे| इस देश का आधिकारिक नाम ग्रैंड डच ऑफ़ लक्ज़मबर्ग है| यह यूरोप के पश्चिम में बसा है|यह देश जितना समृद्ध है उतना ही सशक्त है|
सशक्त देश : लक्ज़मबर्ग एक ऐसा यूरोपीय देश जो पश्चिम और उत्तर में वेल्ज़ियम, पूर्व में जर्मनी और दक्षिण में फ्रांस से लग कर है| लक्जमबर्ग, यूरोपीय संघ, नाटो, United Nations Organisation और ओईसीडी का संस्थापक सदस्य है, जो देश में आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य एकीकरण पर सर्वसम्मति को दर्शाता है।
लगभग सात लाख की आबादी वाले इस देश की 60 % से ज्यादा आबादी अन्य देशों से आये व्यक्तियों की है| इस देश में तीन भाषाएं मुख्यतया बोली जाती हैं| लक्समबर्गीस, फ्रेंच और जर्मन|
नवीन और पुरातन का संगम : कुछ समय के अपने लक्ज़मबर्ग प्रवास में मैंने यह जाना कि यह देश एक विकसित देश तो है ही साथ ही साथ पुरातन और नवीन का संगम स्थली भी है| एक तरफ नयी इमारतों का निर्माण यहाँ हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पुरानी इमारतों को सहेज कर भी उतने ही जतन से रखा जा रहा है| कहते हैं ‘नया घर उठे पुरान घर गिरे’, परन्तु यहाँ नए घर को बनाने के लिए पुराने घर को नहीं गिराया जाता है| पुराने घर को धरोहर की तरह संभल कर और सहेज कर रखा जाता है| नवीन और पुरातन का यह संगम इस देश को बेहद खूबसूरत बनाता है|
Oneness With Nature : प्रकृति के साथ इस देश का एकात्म देखते ही बनता है| जंगल को समाप्त कर शहर नहीं बसाया है बल्कि इस देश में जंगल और शहर साथ साथ ही रहते हैं| एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए जंगल के बीचो बीच बहुत ही सुन्दर और सुरक्षित ट्रैक बने हुए हैं| मर्जी हमारी की हम बस, ट्राम या टैक्सी से कहीं जाना चाहते हैं या जंगल से होकर प्रकृति के साथ बतियाते हुए जाना चाहते हैं|
गुलाबों का देश![Foreign travel, Horoscope Analysis, Trip to Luxembourg, United Nations Organisation, Oneness With Nature](data:image/svg+xml,%3Csvg%20xmlns='http://www.w3.org/2000/svg'%20viewBox='0%200%20232%20414'%3E%3C/svg%3E)
इस देश में घूमते हुए हमें यह लगा की इस देश को ‘गुलाबों का देश’ कहा जाना चाहिए| करीब करीब बीस अलग अलग रंगों के गुलाब हमें देखने को मिले| इसे Oneness With Nature ही कहा जाएगा कि प्रत्येक घर के सामने लैवेंडर और गुलाब के फूल हमें देखने को मिला| इस देश में गेंहू भी है और गुलाब भी| गुच्छे में गुलाब ने हमारा मन मोह लिया|
यूरोप के सुन्दरतम महलों में एक : यूरोप के सुन्दरतम महलों में एक Castle Weendon यहाँ है| इस महल में घूमते हुए मुझे ऐसा लगा मानों मैं भारत के किसी महल में घूम रही हूँ| ऐसा मुझे इस लिए लगा क्योंकि यहाँ हमें कुआँ तो दिखा ही साथ ही साथ रसोई घर में चक्की, तांबे, लोहे, मिट्टी और कांसे के बर्तन दिखे| झाड़ू दिखा| आयुर्वेद से वे भली भांति परिचित थे यह तो जाना ही साथ में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग कर किस प्रकार टाई एंड डाई के प्रयोग से वस्त्र निर्माण करते थे यह भी जाना|
ध्यान केंद्र
इस देश में हमने शहर और गांव दोनों जगह की यात्रा की | वहां की शांति देखकर हमें ऐसा प्रतीत हुआ मानों ध्यान केंद्र में हैं| अद्भुत है| गांव तो गांव, शहरों में शांति को सहेजकर रखना| सहेजने की यह कला इनसे न सिर्फ सीखने अपितु चर्या में शामिल करने योग्य है| उस क्षण के आनंद को महसूस करके देखिए अब समूचा वातावरण ही ध्यान केंद्र में तब्दील हो जाये|
Health Awareness : पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यहाँ किराया नहीं देना पड़ता| मुफ्त की सवारी है| लेकिन अपने स्वास्थ्य के प्रति यहाँ के लोग इतने जागरूक हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट – बस और ट्राम के बजाये साईकिल की सवारी करना ज्यादा पसंद करते हैं|
गेहूं , मक्का और जर्सी गाय : चारों तरफ लहलहाते गेहूं और मक्का के पौधे दिखे| बहुतायत में गायें दिखीं| गायों ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा| उसकी वजह यह रही कि यहाँ सिर्फ जर्सी गायें ही दिखाई दीं| भारत में पिछले कुछ समय से जर्सी गाय के दूध को पीने से होने वाले नुकसान के बारे में तो प्रचारित किया ही जा रहा है साथ ही साथ यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि जर्सी गायों के गोबर का प्रयोग यदि हम अपने खेतों में करते हैं तो धीरे धीरे खेत बंजर होती चली जाती है| इस प्रचार के साथ साथ A2 MILK के नाम पर प्रति लीटर मन मर्जी के पैसे वसूल किये जा रहे हैं| लेकिन यहाँ की लहलहाती फसल और दूर दूर तक फैली हरियाली तो कुछ और ही बता रही थीं|
Children’s Park : बच्चों का यहाँ काफी ध्यान रखा जाता है|यह देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई| हर पार्क में सबसे ज्यादा जगह उनके लिए ही रखा गया है| उस भाग को उनके अनुसार ही विकसित किया गया है|कुछ प्रमुख पार्क हैं- मर्ल पार्क, म्युनिसिपल पार्क, एयरपोर्ट पार्क |
Art Gallery : यहाँ के राष्ट्रीय आर्ट गैलरी में एक मूर्ति ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा| यूरोप का ज्योतिष के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है यह तो हम जानते थे| प्रमाण इस आर्ट गैलरी में आकर मिला| धनु राशि- इस राशि का आधा भाग घोड़े का है और आधा भाग मनुष्य का| मनुष्य के हाथ में तीर और धनुष है| यहाँ तीर धनुष की जगह एक हाथ में डिवाइडर और दूसरे हाथ में भाला के साथ बख्तरबंद पहना हुआ मनुष्य दिखा| धनुष और तीर की जगह डिवाइडर और भाला कहाँ से आया और कब आया, क्या एक मूर्तिकार ने अपनी कल्पना का प्रयोग कर के इनके हाथ में तीर धनुष की जगह डिवाइडर और भाला थमाया यह शोध का विषय है|
अब अपनी यात्रा वृत्तांत को विराम देकर आइये विदेश यात्रा के ज्योतिषीय योग के बारे में जाने-
1 – जन्म कुंडली और दशमांश कुंडली में दशम / दशमेश का सम्बन्ध यदि द्वादश भाव/ द्वादशेश के साथ बन रहा हो तो यह विदेश गमन को दर्शाता है|
2 – इस योग के साथ यदि दशानाथ/ अन्तर्दशानाथ का सम्बन्ध भी बन रहा है तो विदेश गमन की मजबूत स्थिति तैयार होने का संकेत मिलता है|
3 – राहु का गोचर यदि द्वादशेश पर हो रहा है तो यह देखा जाना चाहिए की कितना समय तक यह गोचर रहेगा| यह समयावधि विदेश गमन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय होगा|
4 – जन्म कुंडली और चतुर्थांश कुंडली में यदि तृतीय भाव का सम्बन्ध दशानाथ से बने तो विदेश गमन तो होगा परन्तु यह छोटी यात्रा होगी|
5 – चतुर्थांश के चतुर्थ भाव से यदि राहु का गोचर हो रहा है तो जिस समय यह गोचर हो रहा है उस समयावधि को नोट कीजिए| इस समयावधि में अपने प्रयास को बढ़ा दीजिए| यह वह समय होगा जब आपकी विदेश जाने की योजना का क्रियान्वयन होगा|
6 – जन्म कुंडली और दशमांश कुंडली में यदि दशम/ दशमेश और द्वादश/ द्वादशेश के साथ द्वितीयेश एवं एकादशेश की भी युति हो रही हो तो यह विदेश यात्रा लाभ दिलाने वाला यात्रा होगा|
अब देर किस बात की| उठिए| अपनी अपनी कुंडली में बनने वाले योग के साथ साथ चलने वाली दशा को देखिए और उसके साथ गोचरीय राहु की चाल को जान कर Foreign Travel की तैयारी आरंभ कीजिये|