Firozabad News : टीबी से बचाव को टीपीटी है जरूरी, अब तक लगभग सभी बच्चों को दी जा रही है टीपीटी

फिरोजाबाद । देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की मुहिम में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग क्षय रोगियों के साथ-साथ उनके परिजनों की भी स्क्रीनिंग कर रहा है। क्षय रोगी के संपर्क में रहने वाले परिवार के छोटे बच्चों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है।
सीएमओ डॉ डीके प्रेमी ने कहा कि क्षय रोगी परिवार के लगातार संपर्क में रहता है इसलिए स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर सतर्कता बरत रहा है। क्षय रोगी के परिवार में 5 साल तक के बच्चों को टीपीटी (आईएएनएच दवा जो बच्चों को टीबी रोग से बचाती है) दे रहा है। विभाग का दावा है कि क्षय रोगियों की चपेट में बच्चे शीघ्र आ जाते हैं इसलिए एहतियात के तौर पर बच्चों को सुरक्षित रखना विभाग की वरीयता है।
डीटीओ डॉ ब्रजमोहन का कहना है कि केंद्र सरकार ने देश को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनपद में पांच साल तक के बच्चों को दी जाने वाली टीपीटी आने वाले समय में टीबी रोगी के परिवार के हर सदस्य को दी जाएगी, जिससे टीबी के मरीज से अन्य लोग संक्रमित ना हो सकें। उन्होंने कहा कि अब लगभग सभी बच्चों को टीपीटी दी जा रही है।
डीपीपीएमसी मनीष यादव का कहना है कि अभी वर्तमान में 31 सौ से ज्यादा टीबी रोगियों का उपचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में क्षय रोगियों के सभी परिजनों को संक्रमण से बचाने के लिए टीपीटी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 से 20 व्यक्तियों को टीबी की बीमारी फैला सकता है। ऐसे में मरीजों के परिवार के लोगों के ऊपर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
क्षय रोगी चंदन (परिवर्तित नाम) 70 वर्ष जनपद निवासी का कहना है कि मुझे 5 माह पूर्व जांच के बाद टीबी का पता चला तभी से मैं लगातार दवा ले रहा हूं और मेरे घर के सभी छोटे बच्चों को (टीपीटी) दवा दी गई है जिससे वे भी संक्रमित ना हो सकें। साथ ही डॉक्टरों के कहने पर मास्क का प्रयोग करता हूं और खानपान में पौष्टिक आहार चना, सत्तू, हरी सब्जी, फल, अंडे खाने में ले रहा हूं।

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