Firozabad News : बीच में न छोड़ें टीबी का उपचार, बढ़ सकती है परेशानी : डीटीओ

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बीच में दवा बंद हो जाने पर और भी घातक रूप ले लेती है टीबी, सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी की जांच और उपचार पूरी तरह निशुल्क

फिरोजाबाद । नगला बरी जनपद निवासी सौभाग्यश्री 28 वर्ष (बदला हुआ नाम) को लगातार हल्का बुखार आता था| दवाई लेने पर कुछ आराम होता लेकिन बुखार का आना बंद नहीं हुआ| डॉक्टर की सलाह पर परिजनों ने जब जिला अस्पताल में उनकी जांच कराई तो टीबी की पुष्टि हुई| अस्पताल से ही उपचार भी शुरू हो गया, लेकिन कुछ माह बाद जब सौभाग्यश्री अपनी ससुराल चली गई, तो लापरवाही के चलते उपचार बंद कर दिया| जब परेशानी फिर से बड़ी तो दुबारा मायके आकर जांच करायी, और फिर से उपचार शुरू किया| वर्तमान में उनकी स्थिति में सुधार है।

सीएमओ डॉ. डीके प्रेमी का कहना है कि देश से वर्ष 2025 तक क्षय रोग का उन्मूलन तभी संभव हो पाएगा जब लोग इसके प्रति जागरूक होंगे। लक्षण दिखते ही स्वास्थ्य केंद्र जाएं और जांच करवाएं। अगर क्षय रोग है तो उसका पूरा इलाज करवाएं। टीबी ग्रसित रोगी उपचार पूर्ण होने तथा जांच कराने के बाद चिकित्सक की सलाह पर ही अपनी दवा का सेवन बंद करे| उन्होंने टीबी रोगियों से अपील करते हुए कहा कि मरीज बीच में इलाज न छोड़ें, नहीं तो काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि टीबी की जांच और उपचार सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पूरी तरह निशुल्क है।

क्षय रोग अधिकारी डॉ. ब्रजमोहन का कहना है कि जनपद में टीबी के मरीजों की लापरवाही के चलते मरीजों में बीमारी की समस्याएं फिर से बढ़ रही हैं। सौभाग्यश्री इन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने बीच में ही टीबी का उपचार छोड़ दिया जिससे इनकी परेशानी फिर से बढ़ गई। डीटीओ का कहना है कि ऐसे बहुत सारे मरीज हैं जो बीच में ही उपचार छोड़ देते हैं जिसका खामियाजा उन्हें झेलना पड़ता है।

डीटीओ ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को हल्का बुखार, खांसी, कमजोरी, वजन कम होने लगना आदि हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं। उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में टीबी की जांच और उपचार बहुत महंगा होता है। सरकार व्यवस्था में दी जा रही दवाई टीबी को खत्म करने में पूरी तरह से कारगर हैं| उन्होंने आमजनमानस से अपील की, कि टीबी रोगियों को चिह्नित करवाने में मदद करें। जो लोग टीबी की दवा ले रहे हैं उन्हें प्रेरित करें कि दवा बीच में बंद न हो। बीच में दवा बंद हो जाने पर टीबी और भी घातक रूप ले लेती है।

क्षयरोग अधिकारी ने कहा कि टीबी ग्रसित व्यक्ति अपनी बीमारी को छिपाएं नहीं, यह एक आम बीमारी है और इसका उपचार पूर्णतया संभव है। उन्होंने कहा कि टीबी ग्रसित रोगियों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए जिससे आसपास के लोग संक्रमित ना हो सकें। डीपीपीएमसी मनीष यादव का कहना है कि वर्तमान में जनपद में टीबी के 3390 रोगी उपचाराधीन हैं तथा जनवरी 22 से अब तक 5990 टीबी रोगियों का अब तक पंजीकरण हो चुका है। उन्होंने कहा कि 1726 मरीजों का प्राइवेट अस्पतालों में उपचार चल रहा है।

मनीष यादव ने कहा कि रोगी को उपचार के साथ-साथ पोषण युक्त भोजन जैसे दूध, पनीर, सत्तू, दालें आदि भरपूर मात्रा में लेना चाहिए जिससे रोगी की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके और टीबी की बीमारी से छुटकारा मिल सके। उन्होंने ने कहा कि टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए सरकार की तरफ से डीबीटी के माध्यम से जब तक इलाज चलता है तब तक 500 रुपये प्रतिमाह भी दिए जाते हैं।

टीबी के प्रमुख लक्षण : -दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी आना।
-खांसी के साथ बलगम व बलगम के साथ खून आना।
-वजन का घटना। -बुखार व सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार होना।
-रात में पसीना आना। भूख कम लगना।

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