द न्यूज 15
नई दिल्ली। 13 जनवरी 1948 के दिन महात्मा गांधी ने अपने जीवन का अंतिम उपवास किया जो उस वक़्त की हिंसा और नफरत के माहौल के खिलाफ शांति बहाल करने की पुकार थी । उनके उपवास के दौरान सर्वधर्म प्रार्थना सभा में गीता, कुरान और गुरु ग्रन्थ साहिब पढ़े जाते, वैष्णव जन और ईश्वर अल्लाह तेरो नाम के साथ जैसे भजन गए गए, लोग बिरला भवन में इकट्ठे होते लोगो ने हिंसा में सहभागी न होने का वचन दिया और शांति स्थापित हुई । गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि नफरत और हिंसा ने धर्म की आत्मा को नष्ट कर दिया है और प्यार और अहिंसा ही धर्म की आत्मा हैं और यही एकमात्र तरीका है जिससे इस दुनिया में शांति फैला सकता है।
गांधी जी के अंतिम उपवास को याद करते हुए , नफरत और हिंसा के खिलाफ खुदाई खिदमतगार लीडर फैसल खान और कृपाल सिंह मंडलोई 13 जनवरी से 18 तक उपवास कर रहे है। 13 जनवरी को राजघाट और मज़ार मौलाना अबुल कलम जाकर श्रद्धांजिली के बाद उपवास की शुरू हुए उपवास के चौथे दिन हरिद्वार के मातृ सदन के महंत स्वामी शिवानंद जी महाराज ने समर्थन देते हुए कहा की धर्म समता का मार्ग है और समता , भाईचारे के इस प्रयास का वो पूर्ण समर्थन करते है. वो और उनका आश्रम अमन के इस प्रयास मे हर तरह के सहयोग के लिए हमेशा तैयार है क्योकि समाज इसी रह पर आगे बढ़ सकते हैं।
कोरोना काल रखते हुए उपवास स्थल पर लोगो के आने पर नियंत्रण है सामजिक कार्यकर्ताओ ,युवाओ ,छात्रों से उपवास का समर्थन ऑनलाइन लगातार मिल है है
कोरोना काल रखते हुए उपवास स्थल पर लोगो के आने पर नियंत्रण है सामजिक कार्यकर्ताओ ,युवाओ ,छात्रों से उपवास का समर्थन ऑनलाइन लगातार मिल है है