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दुनियाभर में किसानों को उपभोक्ताओं में खर्च का मिलता एक-चौथाई

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सोशल मीडिया पर आजीविका बढ़ाने वाली कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए इनफ्लुएंसर मार्केटिंग का उपयोग करने की जरूरत 

सुभाषचंद्र कुमार

समस्तीपुर पूसा। दुनियाभर में किसानों को उपयोजनाओं के खर्च का एक-चौथाई ही मिलता है।राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद (एमओए एंड एफडब्लू, भारत सरकार) के सहयोग से डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार द्वारा 3 दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय प्रशिक्षण (वर्चुअल मोड) कार्यक्रम ‘‘कृषि-विपणन में आजीविका के अवसर” (20-22 मई, 2024) विषय पर सम्पन्न हुआ।

समापन दिवस में कुल 4 व्याख्यान दिया गया। जिसमें ईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के डॉ. आलोक कुमार, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विस्तार प्रभाग, ने ‘जीविका के अवसरों में सामाजिक लेखापरीक्षा का महत्व’ विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ आलोक ने कहा सोशल ऑडिट प्रबंधन को संगठन के प्रदर्शन का मूल्यांकन और आकलन करने का आवश्यक प्रदान करता है।

साथ ही साथ सामाजिक लेखा परीक्षा आयोजित करके संस्थान अपने वर्तमान प्रदर्शन और उनके बीच अंतर का पहचान कर सकता है। डॉ. बी जिर्ली, निदेशक, बहु-विषयक विकास अनुसंधान केंद्र (सीएमडीआर), धारवाड़ ने कृषि विपणन को प्रत्यक्ष बाजार से जोड़‌ने पर बल दिया। डॉ वसंत कुमार झा, विभाग प्रधान, प्रसार शिक्षा विभाग, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक ने एफपीओ संगठन पर विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने कृषि उपकरणों की कस्टम हायरिंग पर जोड़ दिया। ईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के वैज्ञानिक डॉ. विकास मंगल ने कृषि विपणन में ‘आर’ सॉफ्टवेयर का अनुप्रयोग करना सिखाया उन्होंने बतलाया कि बहुत सारे छोटे व्यापारी और किसान अपने डाटा को एनालाइज करने के लिए, सॉफ्टवेयर नहीं खरीद सकते हैं लेकिन आर सॉफ्टवेयर मुफ्त में उपलब्ध है और यह बहुत ही काम कंफीग्रेशन में चल जाता है।

इसके द्वारा डाटा को एनालाइज करके मार्केट इंटेलिजेंस को समझा जा सकता है अतः छोटे-छोटे व्यापारी भी इसका लाभ उठा सकते हैं। ‘आर’ विश्लेषण सॉफ्टवेयर से बाजार विश्लेषण, पूर्वानुमान मांग की पहचान, बिक्री विश्लेषण, आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन ग्राहक विभाजन एवं विजुलाइजेशन बनाने पर जोर दिया।

कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर डॉ. सत्य प्रकाश ने कहा जागरूकता पैदा करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है उन्होंने यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर आजीविका बढ़ाने वाली कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए इनफ्लुएंसर मार्केटिंग का उपयोग किया जा सकता है।

कार्यक्रम के संचालन डा. सुधानन्द प्रसाद लाल, (को-काडिनेटर) ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि दुनिया भर में किसानों को उपभोक्ताओं के खर्च का बमुश्किल एक-चौथाई ही मिलता है। उन्होंने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उपभोक्ताओं के रुपये में, किसानों की औसत हिस्सेदारी विभिन्न खाद्य पदार्थों के लिए मात्र 28 से 78 प्रतिशत के बीच पाई गई है, अतः कृषि मार्केट सुदृढ़ीकरण जरूरी है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में 19 राज्य, 1 केन्द्र शासित प्रदेश, 55 विभिन्न संस्थानों के 161 प्रशिक्षणार्थी ने भाग लिए। कार्यक्रम का संचालन डा. सुधानन्द प्रसाद लाल, (को-काडिनेटर) धन्यवाद ज्ञापन डा. सत्य प्रकाश (काडिनेटर) ने किया।