जदयू में गुटबाजी! अशोक चौधरी को मंत्री पद से हटाने की मांग

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 सीएम नीतीश खामोश -यह है कलह की वजह

दीपक कुमार तिवारी

पटना। बिहार के मंत्री अशोक चौधरी लगातार किसी न किसी बहाने चर्चा में बने रहते हैं। सीएम नीतीश कुमार के प्रिय पात्र लोगों में शुमार चौधरी उनके ही दूसरे भरोसेमंद लोगों से उलझते रहे हैं। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललन सिंह के साथ उनका उलझना पिछले साल चर्चा में रहा था। इस बार दो कारणों से उन्हें पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल उनके उलझने का मामला तब सामने आया था, जब पार्टी दफ्तर में नीतीश कुमार के सामने ही अशोक चौधरी ने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पलट कर जवाब दे दिया था। ललन सिंह ने सिर्फ इतना ही कहा था कि अपने क्षेत्र से अधिक वे दूसरे के क्षेत्र में क्यों रुचि लेते हैं। जब दोनों में इस पर बहस हो रही थी तो वहां मौजूद नीतीश कुमार ने चुप्पी साध ली। इसे ललन सिंह के प्रति नीतीश की नाराजगी और चौधरी के प्रति वफादारी के रूप में देखा गया था।
अशोक चौधरी कांग्रेस छोड़ जेडीयू के साथ आए थे। वे तब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके साथ और चार एमएलसी भी कांग्रेस से जेडीयू में आए थे। तभी से वे नीतीश कुमार का करीबी होने का कोई मौका नहीं छोड़ते। दलित समाज से आने वाले अशोक चौधरी और भूमिहार समाज के विजय चौधरी अक्सर नीतीश कुमार के साथ साए की तरह दिखते रहे हैं। जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद का दर्जा हासिल करने के लिए उनके प्रयास के तौर पर इसे देखा जाता है।
अशोक चौधरी को जेडीयू का एक खेमा पसंद नहीं करता है। खासकर भूमिहार लॉबी को वे नापसंद हैं। इसमें अशोक चौधरी के कुछ दिनों पहले भूमिहार बिरादरी को लेकर आए एक बयान ने पलीता लगा दिया। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार से लेकर विधायक संजीव कुमार तक उनके खिलाफ हो गए। उनके खिलाफ जेडीयू में मोर्चाबंदी तेज हुई। अशोक चौधरी ने सफाई भी दी, लेकिन विरोधियों का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है।
इस बीच एक और मामले पर जेडीयू में घमासान शुरू हो गया। अशोक चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक कविता पोस्ट की। कविता में बुढ़ापे की सीख थी। इसे नीतीश कुमार के बुढ़ापे से जोड़ कर जेडीयू नेताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार सबसे पहले सामने आए। कविता पर मचे बवाल के बीच नीतीश ने अशोक चौधरी को अपने आवास पर बुलाया तो लगा कि अब उनकी खैर नहीं। तीसरे ही दिन नीतीश ने अशोक चौधरी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नामित कर दिया। इतना तो तय है कि जेडीयू में अशोक चौधरी विरोधियों के निशाने पर हैं। देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश अशोक चौधरी के मुद्दे पर किसी की सुनते हैं कि पूर्व की तरह उन्हें पुरस्कृत करते हैं।
अशोक चौधरी को मंत्रिमंडल से हटाने की बात तब भी सामने आई थी, जब उन्होंने भूमिहारों को लेकर बयान दिया था। हालांकि नीतीश कुमार ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना कर पुरस्कृत ही कर दिया। पहली सूची में जब अशोक चौधरी का नाम नहीं था और कुछ हफ्ते पहले आरजेडी छोड़ जेडीयू ज्वाइन करने वाले श्याम रजक को महासचिव बनाया गया तो विरोधी इससे खुश थे। राजनीतिक टिप्पणीकार भी मान रहे थे कि अशोक चौधरी राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की नाराजगी के शिकार हो गए हैं।
अशोक चौधरी के खिलाफ ताजा मामला यह है कि एक कार्यक्रम में शिरकत करने वे दुबई गए थे। उस दौरान वे जहां बैठे थे, वहां मेज पर शराब की बोतल और आधा भरा गिलास एक तस्वीर में दिखे। इसे विधायक संजीव कुमार ने बड़ा मुद्दा बना दिया है। उनका कहना है कि बिहार में शराबबंदी की पहल नीतीश कुमार ने की और उनका ही मंत्री शराब रखी टेबल के पास विदेश में बैठा है। यह जेडीयू की नीति और नीतीश कुमार का सरासर अपमान है। ऐसे मंत्री तो को तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।

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