बिहार शराबबंदी
बिहार में शराबबंदी कानून को लागू कराने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक को शराब तस्करों से सांठ-गांठ रखने और अवैध शराब के कारोबार में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। दिलीप पाठक पर आरोप है कि वे उत्तर प्रदेश से बिहार में शराब की तस्करी के लिए एक बड़ा रैकेट चला रहे थे और इसके बदले में मोटी रकम वसूल करते थे।
यह मामला तब सामने आया जब बक्सर पुलिस ने 21 जून 2024 को शराब से लदे तीन वाहनों को पकड़ा। इन वाहनों को उत्पाद विभाग की चेकपोस्ट से बिना जांच के ही गुजर जाने दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में एक शराब तस्कर मुन्ना सिंह को गिरफ्तार किया, जिसने पूछताछ के दौरान बताया कि दिलीप पाठक 2016 से ही शराब तस्करों से मिले हुए हैं और उन्हें संरक्षण देते हैं।
मुन्ना सिंह ने बताया कि दिलीप पाठक उत्तर प्रदेश से आने वाले शराब के ट्रकों को बिहार में प्रवेश करने की अनुमति देते थे और इसके बदले में मोटी रकम लेते थे। इसके बाद पुलिस ने पटना के एक शराब माफिया मनीष उर्फ मरांडी को गिरफ्तार किया, जिसके मोबाइल से पता चला कि उसने पकड़े गए तीनों वाहनों की तस्वीरें और नंबर उत्पाद विभाग के सिपाही शेषनाथ यादव को भेजे थे।
पुलिस ने सिपाही शेषनाथ यादव और एक अन्य सिपाही रामशंकर सिंह सहित कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान पुलिस को दिलीप पाठक और शराब तस्करों के बीच लेनदेन के कई सबूत मिले, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
दिलीप पाठक अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार चल रहे थे, लेकिन हाल ही में उन्हें पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। जमानत मिलने के बाद वे बक्सर में अपनी ड्यूटी जॉइन करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इससे पहले ही विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया।
इस मामले में औद्योगिक थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है और पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है। पुलिस को उम्मीद है कि इस मामले में जल्द ही और गिरफ्तारियां होंगी।
उत्पाद अधीक्षक का निलंबन बिहार में शराबबंदी कानून को लागू कराने में लगी सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पहले भी कई पुलिस अधिकारियों पर शराब माफियाओं से सांठ-गांठ के आरोप लग चुके हैं, जिससे सरकार की किरकिरी हुई है।