चरण सिंह
देश में आरक्षण देश में ऐसा मुद्दा बन गया है कि हर दल इसे हथियाना चाहता है। जिस भाजपा पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर विपक्ष लोकसभा चुनाव में मजबूत स्थिति में आया। अब वही भारतीय जनता पार्टी आरक्षण मुद्दे पर कांग्रेस को घेर रही है। दरअसल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने वाशिंगटन की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा है कि जब आरक्षण में निष्पक्षता होगी तब हम उसे खत्म करने की सोचेेंगे। राहुल गांधी का यह बोलना हुआ कि भाजपा और बीएसपी ने उनके बयान को बोच लिया और कहना शुरू कर दिया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी। मतलब आरक्षण का डर दिखाते रहे और राज करते रहे।
यह सारे दल जानते हैं कि आज की तारीख में आरक्षण खत्म करना बहुत मुश्किल है। यह बात लोकसभा चुनाव में भी देख ली गई। एक ओर जहां बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भड़कते हुए कहा कि राहुल गांधी के इस नाटक से सचेत रहने की जरूरत है वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वे लोग ४०० से ऊपर सीट इसलिए चाह रहे हैं, क्योंकि उन्हें संविधान बदलना है। विपक्ष ने इस मुद्दे को दबोच लिया और कहना शुरू कर दिया कि यदि प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी की सरकार बनी तो न केवल संविधान खत्म कर दिया जाएगा, बल्कि आरक्षण भी खत्म कर दिया जाएगा। चुनाव में क्या हुआ ? परिणाम सामने है। यह संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने का विपक्ष का दांव ही था कि भारतीय जनता पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा है। जबकि विपक्ष ने जनहित में ऐसे आंदोलन नहीं किये थे, जिससे कि वे विपक्ष में दिखाई देते। राहुल गांधी को छोड़ दें तो सभी नेता वातानुकूलित कमरों में राजनीति करते दिखाई दिये। उत्तर प्रदेश में बसपा ने गठबंधन नहीं किया तो सपा ने एन वक्त पर कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। मतलब थोड़ी बहुत कांग्रेस ही दिखाई दी। इसमें दो राय नहीं कि कितना भी भ्रष्टाचार हो पर कुछ लोग हैं कि उनकी छवि बेदाग रही।
हालांकि आरक्षण के चलते कई प्रतिभाएं दबकर रह जाती हैं। प्राइवेट तौर पर बच्चों को पढ़ाने में बहुत खर्चा आता है। नौकरी और एडमिशन में भी आरक्षण के चलते कितने युवा अपने साथ अन्याय मानकर चलते हैं। दरअसल संविधान सभा के अध्यक्ष डा. भीमराव अंबेडकर ने जिस आरक्षण की व्यवस्था की थी, उसमें मात्र १० साल का प्रावधान था। उनका कहना था कि दस साल से ज्यादा समय आरक्षण रहेगा तो दलितों के लिए यह बैसाखी बनकर रह जाएगा।
दरअसल दबे कुचले लोगों के उत्थान के लिए आजादी के बाद आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। बाद में यह वोटबैंक बन गया। पहले एसएसटी आरक्षण पर कांग्रेस ने राजनीति की और अब ओबीसी आरक्षण पर क्षेत्रीय दल राजनीति कर रहे हैं। जबकि देख जाता है कि गिने-चुने परिवार ही आरक्षण का फायदा उठा पाते हैं। अधिकतर लोगों को तो आरक्षण की सही से जानकारी भी नहीं है।