हल्की बारिश में भी झील में तब्दील हो जाती सरक। लोगों ने सरकारी नाला को किया अतिक्रमित

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सुभाषचंद्र कुमार

समस्तीपुर। पूसा थाना क्षेत्र के हरपुर महमदा पंचायत स्थित स्थानीय बाजार की मुख्य सरक हल्की बारिश में भी झील में तब्दील हो जाता है। जिससे बाजार में सभी आने जाने वाले लोगों को भारी कठिनायों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से पंचायत के वार्ड संख्या 8 से लेकर 11 तक प्रभावित है। दरअसल में बात हाथी चौक से लेकर शहीद ले. अमित फाउंडेशन स्मारक स्थल तक सरक की स्थिति जल जमाव के कारण काफी दयनीय स्थिति वर्षो पूर्व से होता चला आ रहा है। जल निकासी नहीं होने की स्थिति में महामारी फैलने की आशंका है।

जल निकासी के लिए बने नाला को स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर दुकान एवं मकान का छज्जी निकाल, नाला पर स्लेव ढालकर अपने अहाते में शामिल कर चुका है। जिससे बारिश का पानी नाला तक नहीं पहुंच पाता है। करीब करीब क्षेत्र के 20 गांवों का मुख्य बाजार होने के कारण ग्रामीण परिवेश के लोगों का आवागमन दो दशक पूर्व से प्रभावित होता प्रतीत हो रहा है।

जल जमाव वाले क्षेत्रों में ही होंडा, सुजुकी, गैस एजेंसी के अलावे आधा दर्जन से अधिक नन्हें मुन्हें माशूम बच्चों का विद्यालय भी प्रभावित है। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रखंड प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगाकर थक चुके है। दरअसल किसी के कानों पर आजतक जूं तक भी नहीं रेंगा है। वहीं ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से भी कई बार प्रयास किया पर परिणाम सिफर ही रहा है।

जलजमाव वाले क्षेत्रों में ही निजी विद्यालय के निदेशक डा केके मिश्रा का कहना है कि बिहार सरकार के सुशासन एवं केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत का मिशाल यदि देखना हो तो पूसा-मुजफ्फरपुर मार्ग पर हल्की फुल्की वर्षा में प्रत्येक दिन सुबह, शाम, दोपहर सड़क मार्ग से सामान्य रूप से गुजरने वाले प्रतिष्ठित विद्यालयों में अध्ययनरत हजारों बच्चे-बच्चियों, दैनिक काम से गुजरने वाले यात्रियों, साइकिल एवं मोटर साइकिल से गुजरने वाले केन्द्रीय कृषि विश्विद्यालयों, प्रखंड कार्यालयों, अनुमंडलीय अस्पताल के दफ्तरों में कार्यरत कर्मचारियों, व्यवसायियों, एवं सभी वर्गों एवं धर्मों के उन लोगों से एकबार बात करके अनुभव करने की जरूरत है जिन्हें इस सड़क पर सरकारी व्यवस्था को आंख दिखाता झीलनुमा सफर किस कदर चिढ़ाता हुआ कहता है कि यही तुम्हारी नियति है।

सभी तरह के करदाताओं को कितना दुःख होता है जब बिना गिरे या कपड़े को गंदा किये अपने गंतव्य तक स्वस्थ हालात में घर नही पहुँच सकते। सुविधा के नाम पर सरकार ने जलनिकासी के लिए करदाताओं के पैसे से सड़क के किनारे आज के हालात में अदृश्य नाला का निर्माण करवा जनता के सुख सुविधा का ख्याल रखते हुए खानापूर्ति कर अपने दायित्व से मुक्त हो गई। यह सही है कि किसी भी व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन के लिए जन सहयोग की जरूरत निहायत रूप से आवश्यक होता है।

 

 

वहीं जिस देश का कुछ नागरिक मुफ्त की सुविधाओं से आरामतलबी की जिंदगी जीना पसंद करता है वही कुछ नूतन प्रयोग एवं राष्ट्र की समृद्धि को सर्वोपरी मानने वाले नागरिक सरकारी योजनाओं की उत्तरोत्तर उपेक्षा से आहत महसूस करतें हैं। आश्चर्य तो तब होता है जब इसी झील से स्थानीय विधायक, सांसद, जनप्रीतिनिधि, प्रखंड एवं अंचल अधिकारी से लेकर जिला समाहर्ता की गाड़ियां भी झील में भरे दुर्घन्धयुक्त जल के बीच से गुजरना अपना सौभाग्य मानते हैं।

और ऐसी हीं कई योजनाओं का शिलापट्ट लगा सामान्य मानविकी को उसकी अशिक्षा एवं अज्ञानता पर व्यंग्य भाव से अपनी किस्मत पर छोड़ जातें है। प्रत्येक वर्ष में दो बार वेतनवृद्धि एवम महंगाई भत्ता का सुख पाने वाले उन मुलाजिमों को क्या पता कि हज़ारों नॉनिहाल एक कपड़े में इसी झीलनुमा सड़क से चलकर सरकारी एवं निजी विद्यालयों में भविष्य की कल्पना को दिमाग मे समाहित किये अपने अपने विद्यालयों में आते जातें हैं। स्थानीय गजेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि सरक के गंदगी को सफाई एवं नाला उराही का कार्य निष्पादन के लिए ग्रामीणों ने कमर कस ली है।

सैकड़ों ग्रामीण का हस्ताक्षरयुक्त आवेदन प्रशासन को दिया गया है। उचित समय तक कार्रवाई नहीं होने पर गांव के निर्णय के अनुसार तय तिथि पर जलजमाव वाले सरक पर बाध्य होकर निष्पादन होने तक आमरण अनशन पर बैठकर सत्याग्रह किया जाएगा। इस संबंध में नवनियुक्त बीडीओ रवीश कुमार रवि का कहना है कि प्रभावित लोगों की तरफ से लिखित आवेदन मिलने पर नियमानुसार समुचित कार्रवाई करते हुए अतिक्रमित नाला की साफ सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

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