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किन्नरों ने खुद बनाई अपनी पहचान

किन्नरों ने खुद बनाई अपनी पहचान
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दुनिया भले ही चाँद तक चली गयी हो लेकिन उनकी रूढ़िवादी सोच उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। अगर बात करे हमारे समाज की तो आज भी हमारे समाज में किन्नरों को वो सम्मान और वो दर्जा नहीं मिल पाया है जो बाकि और लोगो मिला है। आज भी हमारे समाज में किन्नरों को अलग तरीके से देखा व ट्रीट किया जाता है, लेकिन उनकी इस रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ कुछ किन्नरों ने खुद के दम पर अपनी पहचान बनाई है। तो आइये जानते है ऐसे कुछ किन्नरों के बारे में :- 1. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी :- लक्मी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आज कौन नहीं जनता है?

आज वह जिस मुकाम पर है इससे सिर्फ यही साबित होता है की मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है. लक्ष्मी ने बचपन में डांस की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली थी, उन्होंने भरतनाट्यम में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। लक्ष्मी सलमान खान के टीवी शो बिग बॉस के 5वें सीजन में कंटेस्टेंट रह चुकी हैं।

2. जोईता मंडल :- जोइता मंडल की पहचान आज देश की पहली किन्नर जज के तौर पर है। 30 वर्षीय जोइता मंडल पश्चिम बंगाल की पहली जज बनी। उनकी मेहनत और लगन ने लोगो के मुँह बंद कर अपनी खुद की पहचान बनाई।

3. तश्नुवा आनन शिशिर :- तश्नुवा आनन शिशिर की मेहनत आखिरकार रंग लायी और वह बांग्लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज़ एंकर बनी, और उन लोगो का मुँह बंद किया जो बोलते थे के किन्नर सिर्फ पैसे मांगते है।

4. डॉ प्रिया :- अपने दम पर अपनी अलग पहचान बनाने वाली कम उम्र की किन्नर प्रिया जो भारत की पहली किन्नर डॉ बनी। यह जगह हासिल करने के लिए डॉ प्रिया ने न सिर्फ समाज से बल्कि अपने परिवार से भी लड़ाई की।

5. मेघना साहू :- आखिर में बात करते है ओडिशा की मेघना साहू की जो, बनी ओला कैब्स की पहली ट्रांसजेंडर ड्राइवर। लोग जहां पहले इनकी गाड़ी में बैठने से मना करते थे आज वही वो लोग उनकी गाड़ी में खुशी ख़ुशी बैठते है।