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Rajgir : पर्यावरण और जल संरक्षण कभी नहीं बना चुनावी मुद्दा

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चुनावी एजेंडा में शामिल हो पर्यावरण और जल संरक्षण मुद्दा

 नेशनल म्यूजियम और इंटरनेशनल लाइब्रेरी भी कभी नहीं बन सका चुनावी मुद्दा

 

राम विलास
राजगीर। प्रकृति, सांस्कृतिक, पारंपरिक जलस्रोतों और ज्ञान भूमि के लिए मशहूर नालंदा में पर्यावरण और जल संरक्षण कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन सका है। जबकि इसकी जरुरत आम आवाम से लेकर केवल खास लोगों तक ही नहीं बल्कि पशु और पक्षियों के लिए भी आवश्यक है।

इतना ही नहीं ज्ञानपीठ नालंदा में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के रत्नसागर, रत्नरंजिका, रत्नोदधि  सरीखा नौ मंजिला पुस्तकालय,  राष्ट्रीय संग्रहालय, नालंदा विश्वविद्यालय के समकालीन तालाबों का पुनरुद्धार और धरोहर का दर्जा, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पर्यटक शहर राजगीर को कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और श्री राम जन्मभूमि अयोध्या से रेलवे कनेक्टिविटी, मगध सम्राट बिम्बिसार के किले की खोज और कोसी नदी से बाढ़ के पानी को सिंचाई हेतु मगध के जिलों में लाना कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनाया गया है।

किसी भी देश और प्रदेश के विकास का यह प्रतीक है। लेकिन आजादी के 76 साल बाद भी यह कभी चुनावी मुद्दा नालंदा की ज्ञान भूमि में नहीं बन सका है। ऐसे मुद्दों की चर्चा वोट मांगने वाले सौदागरों की बात छोड़िये मतदाता भी नहीं करते हैं। नालंदा का सांस्कृतिक  विरासत  काफी समृद्ध और गौरवशाली रहा है। इसकी गूंज केवल राष्ट्रीय स्तर तक नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर तक है।

इन दिनों वह सभी विरासत इतिहास के पन्नों तक ही सिमट कर रह गया है। बावजूद यहां के लोकसभा कैंडिडेट और वोट मांगने वाले सौदागरों द्वारा इन ज्वलनशील मुद्दों की न तो चर्चा करते हैं और न ही उसे पुनर्जीवित करने के लिए कोई पहल नहीं करते दिखते हैं। पांच पहाड़ियों का शहर राजगीर प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है।

यहां के धरोहर भी देशी- विदेशी को आकर्षित करने में पीछे नहीं है। पहाड़ियां को हरियाली से आच्छादित करने का मुद्दा वोट के सौदागरों के सामने नहीं रखा जाता है। नदियों, तालाबों, झीलों और आहर पोखर और पइन के लिए नालंदा की सूबे में अलग पहचान है। यह सभी जलस्रोत खुद जल के लिए तरह रहे हैं। लेकिन इसको पानीदार बनाने के लिए न सौदागर बोल रहा है और न मतदाता मुद्दा बना रहे हैं।

 जनता बोली

पर्यावरण और जल संरक्षण देश – दुनिया का ज्वलंत समस्या एवं मुद्दा है। पानी बिना जीवन बचाना संभव नहीं है। पारंपरिक जलस्रोतों को फिर से पानीदार बनाने और पानी की बर्बादी पर रोक समय की मांग है। इसलिए पर्यावरण और जल संरक्षण का मुद्दा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों को अपने चुनावी एजेण्डा में शामिल करना चाहिए।

नीरज कुमार, संयोजक, पानी पंचायत

नदियों, तालाबों,  झीलों, आहर, पोखर, ताल, तलैया आदि पारंपरिक जलस्रोतों से भरा पूरा नालंदा कभी पानीदार था। सालों निर्मल धारा बहती थी। अब ये सभी जलस्रोत कुछ महीने छोड़ सालों सूखे रहते हैं। इसका खामियाजा किसान हर साल भुगतते हैं। इसलिए इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहिये।

नवेन्दू झा, पूर्व मुखिया एवं अध्यक्ष, प्रकृति

नालंदा में फिर से नौ मंजिला अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालय और राष्ट्रीय संग्रहालय निर्माण का चुनावी मुद्दा बनाया चाहिए। नालंदा इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। इसलिये नालंदा विश्वविद्यालय की तरह नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को भी पुनर्जीवित करने के लिए वोट के सौदागरों के पास एजेण्डा रखना चाहिए।

 

पंकज कुमार, समाजसेवी, नीरपुर

डॉ अनिल कुमार, वरीय वार्ड पार्षद, राजगीर ने बताया की राजगीर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। लेकिन आजादी के 76 साल बाद भी कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से रेलवे कनेक्टिविटी नहीं है। इसका बुरा असर शैक्षणिक, व्यवसायिक, स्वास्थ्य और पर्यटन पर पड़ रहा है। पर्यटन विभाग के लिए रेलवे कनेक्टिविटी जरुरी है। इसे भी चुनावी मुद्दा बनाना चाहिये।