
विकास सुखीजा
लोकसभा चुनाव के परिणाम को यदि देखा जाए तो भारतीय राजनीति में कांग्रेस का प्रभाव एक फिर से बढ़ता हुआ दिखाई देने लगा है। यदि भाजपा की बात की जाए तो भाजपा का प्रभाव कहीं न कहीं कम होता दिखाई दें रहा है, जिस कारण इन आम चुनावों में इस बार भाजपा सहित कई राजनीतिक पार्टियों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस के पीछे कई कारण हैं, जो खासतौर पर भाजपा को समझने और उससे जानने की जरूरत है।
उल्लेखनीय हैं कि भाजपा की प्रचंड चुनावी मशीनरी और कार्यकर्ता संगठन में कुछ कमियाँ थीं। चुनावी अभियान के प्रबंधन में कुछ लापरवाहियाँ या चूक ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। विपक्षी दलों के संगठन की मजबूती। चुनावी युद्ध में कांग्रेस के साथ साथ भाजपा के खिलाफ मिलीभगत के आंकड़ों में वृद्धि हुई है, जिससे दोनों पार्टियों को चुनौती का सामना करना पड़ा है।
हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी व काग्रेस को भितरघात का सामना करना पड़ा है, इस प्रकार के भीतरघात की कल्पना भी पार्टी द्वारा नहीं की होंगी। चुनाव में सभी पार्टिओ के साथ ऐसा होता रहता है, कि टिकट ना मिलने वाले उम्मीदवार और अन्य किन्हीं कारणों से नाराज़ पार्टी के कार्यकर्ता अपने मन के रोष को निकल ने के लिए दूसरी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार प्रसार व मतदान करवा देते है, परन्तु इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ जो हुआ उसकी कल्पना भी पार्टी द्वारा नहीं की गई होंगी। पार्टी संगठन में जिलाध्यक्ष एक महत्वपूर्ण पद होता है, पार्टी के कुछ जिलाध्यक्ष ने ही पार्टी संगठन के साथ ऐसा खेल खेला की पार्टी को उसकी क्षतिपूर्ति करने का चुनाव में समय ही नहीं मिला। जैसी की खबरें आ रही है की कुछ जिलाध्यक्ष व कई नेतागण तो सिर्फ पैसे के मामले ही देखते रह गए। बहुत सारे जो कार्यकर्ता मन से पार्टी के चुनाव प्रचार में थे, उनकी चुनावी ड्यूटी जानबूझ कर बदल कर ऐसी जगह लगा दी गई कि वो कोई कार्य ही ना कर पाए। कुछ जिलाध्यक्ष पार्टी कार्यालय के AC कमरों से निकले तो सिर्फ स्टेज पर अपनी फोटो खिंचवाने और चुनाव वाले दिन सभी कार्यकर्ताओं को वॉर रूम के बहाने कार्यालय में ही बैठाये रखा। पार्टी फंड का जो पैसा चुनाव में पार्टियों के उचित कार्य के लिए लगना था वो पहुंचाया ही नहीं ऐसे मामले चर्चा का विषय बने हुए है। जानकारी के मुताबिक इस प्रकार से अप्रत्यक्ष तौर पर नुकसान पहुंचाया गया। इसके अलावा बहुत सारी ऑडियो भी सोशल मीडिया पर आ रही है, जिसमे साफतौर पर पार्टी के अधिकारी विपक्ष के पक्ष में मतदान करने को कह रहें है।
भारतीय जनता पार्टी को इस विषय पर गंभीर विचार करने की जरूरत है और साथ में उसके पीछे के कारणों को जानना उस से भी ज्यादा जरूरी है। इसके पीछे मुख्य कारण पार्टी कार्यकर्ताओं के काम ना होना और उनके सम्मान को चोट पहुंचना भी हों सकता है। दूसरा कारण पार्टी द्वारा अपने कार्यकर्ताओं से किये गए वादे पूरे न करना भी हो सकता है। तीसरा और बहुत ही महत्वपूर्ण कारण ये भी हों सकता है कि पार्टी ने अपने पुराने व निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर विश्वास ना कर के पार्टी में बाहर से आये नेताओं को ज्यादा सम्मान दिया और विश्वास किया। इसके अलावा भी बहुत से कारण रहे होंगे जिनका भारतीय जनता पार्टी को पता करना होगा और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उनको सब कारणों को समझ कर विधानसभा चुनाव में भितरघात को रोकना होगा।
अंत में, भाजपा को इस से सीखना होगा और कुछ बदलाव के साथ-2 जो भी इस भितरघात के दोषी है, उनके विरुद्ग सख्त कार्यवाही कर के अपने निष्ठावान कार्यकर्ता को सकारात्मक संदेश देना होगा और समाज में जो भी बदलाव हो रहे हैं, उन्हें समझकर और उनके अनुसार काम करके पार्टी अपनी गतिशीलता बनाए रख सकती है। इससे न केवल पार्टी का प्रदर्शन सुधारेगा, बल्कि यह भी राजनीतिक परिदृश्य में स्थायित्व और विश्वसनीयता बढ़ाएगा। यदि कांग्रेसियों की बात कि जाए तो हरियाणा में चुनाव के दौरान व चुनावों के परिणामों के बाद भी अपने ही नेताओं को कई आरोप जढ़े जा रहे है। कांग्रेसियों की आपसी फुट भी इन चुनावों में खासा मुद्दा रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)