बिहार में कांग्रेस की स्थिति सुधारने की कवायद: 8 साल से नई प्रदेश कमेटी का इंतजार

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दीपक कुमार तिवारी

पटना । बिहार विधानसभा चुनाव करीब हैं, और राज्य में राजनीतिक गतिविधियों ने जोर पकड़ लिया है। जहां बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी अपने-अपने संगठनों को सशक्त बनाने की तैयारी में जुटे हैं, वहीं कांग्रेस 8 वर्षों से नई प्रदेश कमेटी के गठन का इंतजार कर रही है।

पिछली बार प्रदेश कमेटी का गठन 8 साल पहले हुआ था जब अशोक चौधरी प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्होंने 225 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। लेकिन, उसके बाद से पार्टी के कई प्रदेश अध्यक्ष आए और गए, लेकिन नई कमेटी का गठन नहीं हो सका है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के कार्यकाल के ढाई साल भी इसी इंतजार में गुज़र चुके हैं।

कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि प्रदेश कमेटी का गठन कार्यकर्ताओं के लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत बन सकता है। जानकारों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष और बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश जल्द ही संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए कमेटियों के गठन की बात कह रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर के अनुसार, नए प्रदेश अध्यक्ष के आने पर पुरानी कमेटी भंग कर दी जाती है, और इसी के चलते नई कमेटी का गठन अभी तक लंबित है। हालांकि, पार्टी का दावा है कि जल्दी ही बिहार में नई कमेटी का गठन कर कांग्रेस को फिर से मजबूती प्रदान की जाएगी।

क्या कांग्रेस चुनाव से पहले संगठनात्मक ढांचे को कर पाएगी मजबूत? बिहार में अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के पास समय कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस चुनाव से पहले अपने संगठन को धार दे पाएगी या फिर यह स्थिति पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी।

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