दीपावली और छठ की छुट्टियों पर ग्रहण

 शिक्षकों का सब्र का बांध टूटा,  सरकार पर फूटा आक्रोश

 पटना। बिहार में शिक्षा महकमा की कूटनीति और तानाशाही प्रवृति के विरुद्ध शिक्षक गोलबंद होने शुरू हो गए है। राज्य सरकार की नीतियों से त्रस्त सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब आर पार की लड़ाई लड़ने की राह पर चल पड़े हैं। वर्तमान में शिक्षकों के गुस्सा का कारण बना है छुट्टी में की गई कटौती। इन शिक्षक समुदाय का मानना है राज्य सरकार उनसे मनाने की स्वतंत्रता छीन रही है।
दरअसल दीपावली और छठ महापर्व में सरकारी स्कूलों के छुट्टी में कटौती को लेकर शिक्षक समुदाय काफी गुस्सा है। हुआ यह कि सरकारी स्कूलों में 31 अक्टूबर को दीपावली में मात्र एक दिन की ही छुट्टी दी गई है। इस वजह से मुश्किल यह हो गई हर कि दूर दराज से आने वाले हजारों शिक्षक इस एक दिन की छुट्टी के कारण अपने घर परिवार के साथ दीपावली का त्योहार नहीं मना पाएंगें। एक दिन की छुट्टी में जा कर आना संभव नहीं है। जबकि सरकारी स्कूलों में पोस्टेड शिक्षकों अधिकांश संख्या महिला शिक्षक हैं।
वहीं छठ की 7, 8 और 9 नवंबर को छुट्टी दी है। जबकि चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 5 नवंबर नहाय खाय के साथ हो रही है। 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को संध्या कालीन अर्घ्य और 8 नवंबर को सुबह का अर्घ्य होना है। नहाय खाय और खरना दोनों दिन को सरकारी स्कूल खुले हैं। शिक्षिकाएं इस बात से परेशान हैं कि इस साल छठ पर्व कैसे हो पाएगा।
राज्य के शिक्षक संघ राज्य सरकार पर यह आरोप लगा रहे है कि जानबूझ कर छोटी छोटी समस्या शिक्षकों के सामने लाई जा रही है। राज्य सरकार की मंशा यह है कि इन समस्याओं में उलझे रहेंगे तो बड़ी मांग से ध्यान हटेगा और सरकार राहत की सांस लेंगी। गौर करें तो जिन मांगों को ले कर राज्य के शिक्षक वर्ग सड़कों पर उतर आए थे अब ये सारे शिक्षक समय पर स्कूल जाने आने, निरीक्षण का सामना करने में और अब छुट्टी को ले कर परेशान हो रहे हैं। लेकिन इस बीच शिक्षकों की जो मूल मांग थी उस पर ध्यान किसी का नहीं जा रहा है। मसलन ,अब कोई आवाज प्रोन्नति,पदोन्नति, वेतन, नियमित वेतनमान, स्थानांतरण को ले कर नहीं उठ रही है।
शिक्षक संघ के पदाधिकार शैलेन्द्र कुमार शर्मा कहते है कि आजादी के बाद से 2023 तक हमेशा दीपावली से छठ तक छुट्टी रहती थी। इस साल 2024 में पहली बार दीपावली से छठ तक कि लगातार छुट्टी नहीं दी गई है। अवकाश तालिका निर्माण में अदूरदर्शिता के कारण ही नहाय खाय और खरना जैसे अवसर पर स्कूल खुला रखना और छुट्टी नहीं देना निंदनीय है। उन्होंने छुट्टी में संशोधन करके पूर्व के वर्षों की तरह ही धनतेरस से लेकर छठ तक अवकाश की घोषणा करने की मांग मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और एसीएस से भी की है।
यदि शिक्षा विभाग शिक्षकों की सेवा और सुविधा एक समान करना चाहता है और जिसमें छुट्टियां भी शामिल रहती है तो उन्हें राजपत्रित अवकाश के अतिरिक्त प्रतिबंधित छुट्टियों का भी लाभ दिया जाय और अर्जितावकाश 33 दिनों का दिया जाय। साथ ही विद्यालयों में कुल 60 दिनों की छुट्टियां होती हैं। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग ने अनावश्यक रूप से इसमें छेड़छाड़ कर दिया और यहाँ तक कि रविवार की साप्ताहिक छुट्टियों को भी गणना में शामिल कर अवैध आदेश दे दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार शिक्षक के हितों के लिए संघर्षशील रहे राज्य के तमाम संघ एक जुट हो कर विधान मंडल का घेराव करने जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार आने वाले शीतकालीन सत्र में संघ अपनी तमाम मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतरेगी और अपने सभी विचाराधीन मांग को ले कर आंदोलन करेगी। सरकार अगर समझौता के लिए बातचीत को तैयार होती है तब तो ठीक है। ऐसा नहीं होता है तो राज्य के शिक्षक शीतकालीन सत्र को चलने नहीं देंगे। विधान मंडल के चारों तरफ घेराबंदी कर विधायकों को जाने से रोका जाएगा।

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