पूसा में सब्जी के भंडारण व प्रसंस्करण की मांग
सुभाषचंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। कृषि शिक्षा की जन्मस्थली व वैज्ञानिकों के गढ़ पूसा एवं इसके आसपास का क्षेत्र सब्जी उत्पादन का बड़ा कारोबारी क्षेत्र है। पूसा के वैनी सब्जी मंडी से कई जिलों व राज्यों में इस क्षेत्र की सब्जी जाती है। लेकिन भंडारण व प्रसंस्करण के अभाव में किसानों को उसका समुचित मूल्य नहीं मिल पाता है।
कभी-कभी तो कौड़ियों के भाव सब्जी बेचने को लेकर किसान विवश होते हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में सब्जी उत्पादन करने पर किसानों को आमदनी से ज्यादा लागत लगाने के लिए मजबूर है। मौसम की मार से बचने के लिए भंडारण एवं प्रसंस्करण क्षेत्रीय स्तर पर लगाने की जरूरत है। जिससे सब्जी उत्पादकों को बेहतर लाभ मिलने की संभावना होगी।
किसानों की मूलभूत समस्या व आर्थिक समृद्धि की दिशा में किसी प्रतिनिधियों ने सफल प्रयास नहीं किया। वर्षों से सरकारें व जनप्रतिनिधि बनते और बदलते रहे। चुनाव आते ही प्रतिनिधि भी नये वादे व दावे करते रहे हैं। लेकिन उसे धरातल पर उतारने की दिशा में सशक्त प्रयास अभाव रहा है।
चंदौली के गोपाल पटेल की मानें तो पूसा के मोरसंड, चंदौली, चकले वैनी, दिघरा, बथुआ, धोवगामा, चकहाजी, ताजपुर का मोतीपुर, भेरोखड़ा, नीरपुर, कल्याणपुर का सोमनाहा, टारा, लदौरा आदि दर्जनों गांव के किसानों का सब्जी उत्पादन व इससे जुड़ा व्यवसाय आजीविका का केन्द्र बिन्दू रहा है। किसान वैनी बाजार व मोतीपुर सब्जी मंडी में अपनी सब्जियों को रोजाना बेचते हैं।
लेकिन इसके रखरखाव की समस्या से उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। बुद्धिजीवियों व किसानों की मानें तो पूसा क्षेत्र में डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा एक बड़ी संस्थानों में शामिल है। जहां से तकनीकी सहयोग एवं प्रशिक्षण लेकर किसान अपने कृषि उत्पादों से बेहतर लाभ ले सकते है। लेकिन इसके लिए सबसे अहम बात तो भंडारण व प्रसंस्करण ईकाई का होना जरूरी है।
यह यहां के मतदाताओं के लिए चुनावी मुददा भी है। अब देखना है कि चुनावी माहौल में जनप्रतिनिधियों ने सिर्फ जुमलाबाजी कर वोट बटोरने में कामयाब हो जाते या फिर यहां के किसानों एवं सब्जी उत्पादकों की इन जटिल समस्याओं पर सकारात्मक पहल करने के उद्देश्य से प्रत्याशी मतदाताओं के बीच जाते है।