ऊषा शुक्ला
युवा नशे की लत के ज्यादा शिकार हैं। नशे की लत लगने के कई कारण हैं। ड्रग्स, शराब और निकोटीन के मामले में, ये पदार्थ आपके शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से महसूस करने के तरीके को प्रभावित करते हैं। ये भावनाएँ आनंददायक हो सकती हैं और पदार्थों को फिर से इस्तेमाल करने की तीव्र इच्छा पैदा कर सकती चूँकि युवावस्था में कैरियर को लेकर एक किस्म का दबाव और तनाव रहता है। ऐसे में युवा इन समस्याओं से निपटने के लिए नशीली दवाओं का सहारा लेता है और अंततः समस्याओं के कुचक्र में फंस जाता है। इसके साथ ही युवा एक गलत पूर्वधारणा का भी शिकार होते हैं।
नशे की लत का शिकार होने वाले सर्वाधिक युवा हैं, जिनकी उम्र 18-35 साल है. कई युवाओं की इन बुरी आदतों के चलते उनका परिवार बर्बादी की कगार पर आ गयी है. हजारीबाग जिले में धड़ल्ले से अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा का कारोबार हो रहा है. नशा के आदी युवा अब सड़कों पर छिनतई, लूट, चोरी और अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.आजकल के युवा वर्ग में दिन प्रतिदिन नशे की लत बढ़ती चली जा रही है। आखिर इसका कारण क्या है। देखा गया है कि बच्चे अभी पूरी तरह से व्यस्त भी नहीं हो पाते हैं,। जिस उम्र में बच्चों को अपने भविष्य में कुछ बनने का सपना देखना चाहिए। इस उम्र में बच्चे नए-नए तरीके के ड्रग्स को अपनाने की कोशिश करना चाहते हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। अधिकतर लोगों का कहना है कि बच्चे नशा करना केवल मात्र फिल्मों से सीखते हैं। पर सोचने वाली बात तो यह है की माता-पिता क्या कर रहे हैं। कहां गए माता-पिता के संस्कार। जिस उम्र में बच्चों को बिठाकर माता-पिता को बच्चों की काउंसलिंग करनी चाहिए। उसे उम्र में मां-बाप बच्चों की जायज और नाजायज सारी फरमाइश है पूरी करते हैं। अपने बच्चों को बेवजह का ऐसो आराम देने के लिए किसी भी बुरे रास्ते पर चलने को तैयार हो जाते हैं। और यहीं से बर्बाद होता है बच्चों का भविष्य। अपने बच्चों को प्यार कीजिए पर उतना ही प्यार कीजिए जिसमें वह बिगड़ ना जाए। बच्चा जैसे ही धीरे-धीरे बड़ा होता है वैसे-वैसे बच्चों के कंधे पर जिम्मेदारियां का बोझ डालना शुरू कर दीजिए।
बच्चों को सिखाए कि भविष्य बनाना कितना जरूरी है। अच्छे रास्ते पर चलना भगवान की नजर में कितना बड़ा पुण्य काम है। बच्चों की काउंसलिंग कीजिए कि हमें अपने घर के औकात के अनुसार ही अपना जीवन का निर्वाह करना चाहिए। दूसरे लोग अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं। कौन सी सुख सुविधा दे रहे हैं उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। लेकिन बच्चों में कंपटीशन तो बाद में आता है माता-पिता और इस पड़ोसी के बच्चों से कंपटीशन में आगे आना चाहते हैं और वह अपने बच्चों को उनके बच्चों से ज्यादा और महंगा गैजेट देने की कोशिश करते हैं। भले ही औकात ना हो। भले ही पैसा किसी का चोरी करना पड़े या किसी का हड़पना पड़े । अपने बच्चों को सबसे महंगा सामान देना है। माता-पिता को चाहिए की बच्चों को पैसे की बचत करना सिखाए। अगर कोई खिलौना आप अपने बच्चों को दस रुपए का देने जा रहे हैं तो बच्चे को कोई खिलौना आठ रुपए का ही दे और दो रूपए उसके हाथ पर देकर कहें की जा बेटा किसी मजबूर को यह पैसा देते हैं। इससे बच्चा दूसरों की मदद करना सीखेगा। अपने ऊपर बेवजह पैसे उड़ाने वाला बच्चा कुछ पैसे बचा कर किसी मजबूर को मदद करने की सोचेगा। और यही संवरता है लाडले का जीवन।
नयी पीढ़ी के युवा तेजी से नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. नशाखोरी का शिकार हो चुके युवा अपने साथ ही अपने परिवार के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं. विद्यार्थियों मैं नशे की आदत की बढ़ती प्रवृति का आख़िर कारण क्या है ?इसका एक कारण है सहनशक्ति की कमी। युवा आजकल बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हंै और फिर वे नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हालात से लडऩा सिखाएं और उन्हें मजबूत बनाएं। दूसरा बड़ा कारण ये है कि आजकल नशा फैशन बनता चला जा रहा है।नशे की लत के दो प्रमुख कारण हैं जब किसी व्यक्ति को कोई मानसिक बीमारी होती है जिसका निदान नहीं किया जाता या जिसका इलाज नहीं किया जाता। मानसिक बीमारी के लक्षण किसी भी उम्र में विकसित हो सकते हैं, लेकिन किशोरावस्था के दौरान इनके होने की संभावना अधिक होती है। मानसिक विकार भी जीवन के किसी भी मोड़ पर हो सकते है ।
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