डॉ. भीमराव अम्बेडऱ के सामाजिक न्याय, शिक्षा और समानता के आदर्श आज भी प्रासंगिक : जगजीत सिंह, डीजेएम, पीएनबी।

0
9
Spread the love

भारत में जब-जब संविधान और लोकतंत्र की बात होगी बाबा साहेब का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा- डॉ. आर.एस. मीणा, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसएसआरआई
बाबा साहेब के बताए मार्ग पर चलना ही उनको सच्ची श्रद्घाजंलि-अमर सिंह, प्रधान अम्बेडऱ समाज कल्याण सभा

करनाल, (विसु)। पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर व सर्कल हैड जगजीत सिंह ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडक़र ने सामाजिक न्याय, शिक्षा और समानता के क्षेत्र में जो क्रांति शुरू की थी, वह आज भी प्रासंगिक है। उनके विचार और योगदान दलित समुदाय के सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हुए। जगजीत सिंह शुक्रवार को शहर के सैक्टर-16 स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडक़रभवन में बाबा साहेब के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित श्रद्घांजलि समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. भीमराव अम्बेडक़र समाज कल्याण सभा की ओर से किया गया था।


उन्होंने कहा कि यह दिन हमें उनके विचारों को आत्मसात कर समाज में समानता और भाईचारे की दिशा में ओर अधिक काम करने की प्रेरणा देता है। डॉ. अम्बेडक़र न केवल दलितों के नेता थे, बल्कि वह पूरे राष्टï्र के लिए मार्गदर्शक और पथ प्रदर्शक बने रहे। उनके द्वारा रचित संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए एक आधारशिला बना, इसमें सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार सुनिश्चित किया गया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब को सच्ची श्रद्घांजलि इसी में है कि उनके द्वारा दिए गए मूल मंत्र शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो, को आत्मसात कर आगे बढऩे का प्रयास करें। उन्होंने समाज कल्याण सभा को सुझाव दिया कि वे सामाजिक गतिविधियों में ज्यादा से ज्यादा युवा और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करें। इससे पूर्व उन्होंने बाबा साहेब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्घांजलि दी।
केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. मीणा ने बताया कि भारत में 6 दिसंबर के दिन को महापरिनिर्वाण के रूप में मनाया जाता है। महापरिनिर्वाण का अर्थ बौद्घ धर्म में आत्मा की मुक्ति से है। इस दिन को अम्बेडक़र की महान आत्मा की शांति और उनकी अमूल्य सेवा को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। बाबा साहेब को श्रद्घांजलि देते उन्होंने कहा कि भारत में जब-जब संविधान और लोकतंत्र की बात होगी, तो बाबा साहेब का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा। छ: दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारिख के रूप में दर्ज है। इसी दिन संविधान निर्माता, समाज सुधारक और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडऱ का 1956 में निधन हुआ था।
डॉ. अम्बेडक़र समाज कल्याण सभा के प्रधान अमर सिंह पातलान ने बाबा साहेब को अपनी श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि महापरिनिर्वाण दिवस पर बाबा साहेब को सच्ची श्रद्घांजलि इस बात में है कि हम उनके बताए हुए मार्ग पर चलें और उनके आदर्शों को अपनाएं। अमर सिंह ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडक़र भवन में सभी वर्गों के युवाओं के लिए छात्रावासीय और उसमें कम्प्यूटर जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इनसे जुड़े युवा प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी में जुटकर अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।
श्रद्घाजंलि कार्यक्रम में हरपाल सिंह गोड काछवा, जय सिंह, गोपाल सहोत्रा, एलआईसी के वरिष्ठï प्रबंधक तरसेम चांदला, पीएनबी के मुख्य प्रबंधक एच.एस. नरवाल, एनबीएजीआर के वित्त एवं लेखा अनुभाग अधिकारी रणधीर सिंह पाल, बिहार से आए मुकेश रघुवंशी कुशवाह, रमेश सैनी तथा खुरशीद आलम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वरिष्ठï अध्यापक बलवंत आहल्यान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here