सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की फरिश्ते स्कीम को लेकर एलजी वीके सक्सेना को सलाह दी है। शीर्ष अदालत ने एलजी से साफ कहा कि आप हर बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न मत बनाइए। दिल्ली सरकार ने फरिश्ते योजना के कार्यान्वयन में एलजी की तरफ से बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच योजनाओं को लेकर खींचतान नई बात नहीं है। कई बार मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को नसीहत दे डाली। दिल्ली सरकार की फरिश्ते मामले से जुड़ी सुनवाई के बीच शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को एलजी से कहा कि वह सभी मुद्दों को ‘प्रतिष्ठा का मामला न बनाएं। कोर्ट ने साफ कहा कि यदि उनके (दिल्ली सरकार) आरोप (फरिश्ते योजना से संबंधित) सही पाए गए तो यह भारी पड़ सकता है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि एलजी कोर्ट के आदेश को हल्के में ले रहे हैं। फरिश्ते सड़क दुर्घटना के मामलों में मुफ्त इलाज प्रदान करने के लिए आप सरकार द्वारा शुरू की गई एक कल्याणकारी योजना है।
योजना लागू करने में बाधा बन रहे एलजी?
दिल्ली सरकार का आरोप है कि एलजी और अधिकारी फरिश्ते योजना के कार्यान्वयन में बाधाएं पैदा कर रहे हैं। साथ ही इस योजना के लिए फंड जारी नहीं किया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने एलजी के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। इस पर कोर्ट ने एलजी को नोटिस जारी किया। नोटिस का जवाब देते हुए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन एलजी की ओर से पेश हुए। उन्होंने जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि इस योजना में एलजी की कोई भागीदारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि इसे स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता वाली सोसायटी की तरफ से रेगुलेट किया जा रहा है। जैन ने पीठ को सूचित किया कि सोसायटी की बैठक के बाद अब फंड जारी कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने अनावश्यक रूप से एलजी को विवाद में घसीटा है।
‘प्रतिष्ठा का मुद्दा ना बनाएं’
जैन की दलील पर जवाब देते हुए पीठ ने उनसे कहा, “अपने एलजी से कहें कि हर मामले को प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। अपनी बात जारी रखते हुए जैन ने कहा कि यह मंत्री परिषद बनाम एलजी का मामला नहीं है जैसा कि याचिका में बताया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार याचिका दायर करके और एलजी के खिलाफ ऐसे मामले में आरोप लगा रही है जो उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि हो हल्ला मचाया जा रहा है। इसके बाद अदालत ने जैन से शपथ लेकर बयान देने और याचिका में लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा कि अगर हमें पता चला कि एलजी हमें बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो हम जुर्माना लगाएंगे। फिर हमें इस संबंध में कदम उठाना होगा।
क्या कह रही है दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि यह योजना स्वास्थ्य सेवाओं के दायरे में आती है, जिस पर एलजी का नहीं बल्कि निर्वाचित सरकार का अधिकार क्षेत्र है। ऐसे में अधिकारियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि समय पर और प्रभावी इलाज के अभाव में सड़कों पर लोगों की जान जा रही है क्योंकि नौकरशाहों ने इस योजना को बंद कर दिया है।