बिहार-झारखंड को जोड़ती है चीर नदी?

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 छठ पूजा पर देखिए अद्भुत नजारा

दीपक कुमार तिवारी 

पटना/बांका। बिहार में बांका जिला अंतर्गत पंजवारा स्थिति चीर नदी यहां पर श्रद्धालुओं की आस्था, निष्ठा और एकता की लय राज्य विभाजन की दीवार को यहां समाप्त कर देता है। नदी के पूर्व के हिस्से में झारखंड के लोग जबकि पश्चिमी हिस्से में बिहार के लोग अर्घ्य दान करते हैं। भगवान भास्कर के उदय और अस्त का नजारा भी और जगहों से भिन्न है।
अर्घ्य दान के पहले दिन जब यहां श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को नमन कर अर्घ्य देते है तो भगवान भास्कर बिहार सीमा क्षेत्र में विराजमान दिखते है। उदीयमान सूर्य भगवान को दूसरे दिन अर्घ्यदान की बेला में श्रद्धालुओं को भगवान झारखंड की सीमा से दर्शन देते है। चीर नदी यहां प्रांतीय विभाजन रेखा के तौर पर जानी जाती है। इसके पूर्वी भाग में झारखंड की बस्तियां बसी है। पश्चिम भाग में बिहार का हिस्सा अवस्थित है। छठ महापर्व यहां प्रत्येक वर्ष सद्भाव के संगम स्थली का विहंगम दृश्य दिखाता है। प्रांतीय एवं जातीय भेदभाव का लेश मात्र भी नहीं रहता।
ऊंच-नीच,अमीर-गरीब छोटा-बड़ा हर नर-नारी सभी एक सिरे से पंक्तिबद्ध होकर भगवान भास्कर को नमन कर साथ-साथ जलार्पण करते है। छठ महापर्व के मौके पर हर बार इसका जीवंत गवाह बनता है चीर नदी में अवस्थित छठ पूजनोत्सव घाट। पंजवारा चीर नदी के तट पर बिहार एवं झारखंड के अंतरप्रांतीय सीमा क्षेत्र पर अवस्थित है। छठ व्रत के मौके पर नदी में कई किलोमीटर तक व्रती श्रद्धालुओं की कतार देखी जा सकती है।
बौसी, बाराहाट, धोरैया प्रखंड के सीमा पर बसे श्रद्धालु सहित दूसरे छोर पर बसे झारखंडवासी भी इन्हीं घाटों पर व्रत करते है।एक तरफ झारखंडवासी व्रती बिहार की ओर उन्मुख हो सूर्य भगवान को नमन करते हैं,तो दूसरी तरफ बिहारवासी झारखंड की ओर से उग रहे सूर्य भगवान को नमन कर व्रत का समापन करते दिखते है। जिसकी मनोहारी छटा यहां प्रांतीय और सामाजिक सद्भाव की नई मिसाल पेश करती है।

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